देश की राजधानी दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण ने हालात गंभीर बना दिए हैं. सांस लेना मुश्किल हो गया है और बच्चों की सेहत पर सबसे ज्यादा असर पड़ रहा है. इसी को देखते हुए दिल्ली सरकार ने स्कूली बच्चों को प्रदूषण से बचाने के लिए बड़ा फैसला लिया है.
कक्षा 5 तक की पढ़ाई पहले ही ऑनलाइन की जा चुकी है और अब सरकारी स्कूलों में एयर प्यूरीफायर लगाने का निर्णय लिया गया है. शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने बताया कि पहले चरण में दस हजार एयर प्यूरीफायर लगाए जाएंगे और इसके लिए जल्द ही टेंडर जारी किया जाएगा. सरकार का मानना है कि यह कदम बच्चों के लिए सुरक्षित शैक्षणिक माहौल बनाने में अहम साबित होगा.
सरकारी स्कूलों में एयर प्यूरीफायर लगाने की योजना
दिल्ली सरकार का फोकस इस समय स्कूली बच्चों को जहरीली हवा से बचाने पर है. सरकारी स्कूलों में एयर प्यूरीफायर लगाने की योजना को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा. पहले चरण में उन स्कूलों को प्राथमिकता दी जाएगी जहां बच्चों की संख्या अधिक है और प्रदूषण का स्तर ज्यादा रहता है. शिक्षा विभाग के अनुसार एयर प्यूरीफायर क्लासरूम के अंदर हवा की गुणवत्ता सुधारने में मदद करेंगे. सरकार का कहना है कि बढ़ते एक्यूआई के बीच यह फैसला बच्चों की सेहत और पढ़ाई दोनों के लिए जरूरी है. आने वाले दिनों में इसके प्रभाव और जरूरत के आधार पर दायरा बढ़ाया जा सकता है.
दिल्ली के गृह मंत्री आशीष सूद ने कहा, "दिल्ली में प्रदूषण के कारण क्या हैं, यह आज मैं आपको बताने आया हूं. यह केवल सीजन का प्रदूषण नहीं है और न ही यह दस महीने में तैयार हुआ प्रदूषण है. दिल्ली प्रदूषण की वजह सटे हुए जिलों की अहम भूमिका है. दिल्ली का अपना प्रदूषण बहुत कम है. आरोप लगे कि दिल्ली सरकार ने AQI मीटर ग्रीन बेल्ट में लगा दिए."
उन्होंने कहा, "20 AQI स्टेशन ग्रीन बेल्ट में थे पिछली सरकार में. और यह कहना मेरा नहीं है, यह कैग की रिपोर्ट कह रही है. कुछ बेरोजगार नेता कह रहे हैं कि केजरीवाल ऑड इवन लेकर आए या नहीं ला रहे. लेकिन डीपीसीबी की एक रिपोर्ट कहती है कि सरकार ने ऑड इवन का कोई डेटा नहीं दिया."
"पिछली सरकार सिर्फ इवेंट सरकार रही. अगर इन्हें प्रदूषण ठीक करना था तो ट्रांसपोर्ट पर काम करने की जरूरत थी. जिस पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बेहतर करने का काम केंद्र सरकार कर रही थी, उसमें भी पिछली सरकार अड़ंगा लगा रही थी. जब सुप्रीम कोर्ट ने डंडा चलाया तब इन्होंने केंद्र के काम को करना शुरू किया. ईवी बस खरीदने के लिए 45 करोड़ देने थे, वह पैसा पिछली सरकार ने नहीं दिया. लेकिन रेखा सरकार ने यह पैसा दिया और ईवी बस खरीदी."
उन्होंने आगे कहा, "इनके पास ईवी बस खरीदने का पैसा नहीं था, लेकिन करोड़ों रुपये विज्ञापन के लिए थे. लाइट ऑन इंजन ऑफ कर करोड़ों खर्च किए. अगर हिम्मत है तो आएं, उन्होंने दस सालों में क्या किया और हमने प्रदूषण के लिए दस महीनों में क्या किया, यह बताते हैं. लेकिन बेरोजगार नेता इंजीनियर की डिग्री दिखा रहे थे. अरे डिग्री गले में टांग लो, लेकिन प्रदूषण पर क्या किया, यह बताओ. 11-10-25 को हमने ऑर्डर जारी किया. लेकिन आदेशों के पालन के लिए वक्त चाहिए या नहीं चाहिए."
"यह एक दिन का या दस महीने का प्रदूषण नहीं है. यह लंबे समय की समस्या है. पिछली सरकार बताए कि कितनी स्प्रिंकलर मशीन और मैकेनिकल स्वीपिंग मशीन खरीदीं. आपने तो नगर निगम को पैसे तक नहीं दिए. सफाई कर्मचारी हड़ताल पर रहते थे. आज वही सफाई कर्मी आपको काम करते नजर आएंगे क्योंकि हमने नगर निगम को पैसा दिया और उनकी समस्याएं सुनीं. डेयरियों का गोबर नालियों के जरिए यमुना में जाता है. दस सालों में उन्होंने गोबर निस्तारण के लिए क्या किया. और हमने दस महीने में गोबर निस्तारण प्लांट लगाकर दिखाया है और आगे भी प्लांट तैयार होगा."
उन्होंने कहा, "हमने गैस प्लांट भी चालू कर दिया है. ऐसे कई कदम उठाए गए हैं. कूड़े के पहाड़ के सामने फोटो खिंचवाना अलग बात है, लेकिन काम क्या हुआ. हमने बीड़ा उठाया है कि 2026 में भलस्वा लैंडफिल साइट को खत्म कर देंगे. सिंघोला, भलस्वा और नरेला के लिए टेंडर लगवाकर उसका भी निस्तारण कर रहे हैं. शिक्षा विभाग दिल्ली में स्मार्ट क्लासरूम के साथ बच्चों को बेहतर और स्वच्छ हवा देने के लिए दस हजार एयर प्यूरीफायर क्लासों में लगाने जा रहा है ताकि बच्चों को क्लासरूम में शुद्ध हवा मिल सके. इसका टेंडर जारी किया जा रहा है."
बच्चों और बुजुर्गों के लिए बढ़ता खतरा
बढ़ते एयर पॉल्यूशन के बीच सांस लेना बड़ी चुनौती बन चुका है. हर दिन बढ़ता एक्यूआई आम लोगों की मुश्किलें बढ़ा रहा है. जैसे-जैसे तापमान गिर रहा है स्मॉग और प्रदूषण और ज्यादा जमता जा रहा है, जिसका सीधा असर फेफड़ों पर पड़ रहा है. मेडिकल एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह स्थिति बुजुर्गों जितनी ही छोटे बच्चों के लिए भी खतरनाक है. लगातार खराब हवा में सांस लेना स्लो जहर की तरह काम करता है. इसका असर तुरंत नहीं बल्कि धीरे-धीरे शरीर के अंदर दिखाई देता है, इसलिए समय रहते सख्त कदम जरूरी हैं.