दिल्ली के रोहिणी इलाके में शनिवार (6 दिसंबर) की शाम खौफनाक वारदात को अंजाम दिया गया. अमन विहार इलाके में बारात से साइड लेने के लिए बस ड्राइवर ने हॉर्न बजाया था. इसके बाद विवाद इतना बढ़ गया कि लोगों ने ड्राइवर को पीट-पीटकर मौत के घाट उतार दिया. एक साधारण से हॉर्न के कारण हत्या मामले के बाद इलाके में तनाव फैल गया. 

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परिजनों के साथ डीटीसी कर्मचारी भी सड़कों पर उतर आए हैं. आरोपियों की कड़ी सजा के साथ मृतक परिवार को एक करोड़ रुपये मुआवजा देने की मांग अब जोर पकड़ने लगी है.

साइड के लिए हॉर्न बजाया, बात बढ़ी और ले ली जान

शनिवार रात डीटीसी की बस लेकर ड्यूटी खत्म करने के लिए लौट रहे विकास ने अमन विहार इलाके में बारात के कारण सड़क जाम देख बस को निकालने के लिए हॉर्न बजाया. लेकिन यह मामूली सी बात वहां मौजूद एक ऑल्टो कार में बैठे महिला और पुरुष को नागवार गुजरी. बहस शुरू हुई और कुछ ही मिनटों में मामला इतना बिगड़ा कि ऑल्टो सवार शख्स ने अपने लोगों को बुलाकर बस के अंदर घुसकर विकास पर हमला कर दिया.

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जिसे पर एक राहगीर ने बीच-बचाव की कोशिश की तो उसे भी बुरी तरह पीटा गया. दोनों को पहले संजय गांधी अस्पताल और फिर सफदरजंग रेफर किया गया, जहां डॉक्टरों ने विकास को मृत घोषित कर दिया. वहीं दूसरे घायल शख्स का अभी भी अस्पताल में इलाज जारी है.

परिजनों ने कही ये बात

मृतक के चाचा नरेश कुमार ने एबीपी लाइव से बातचीत में बताया कि विकास बेहद शांत स्वभाव का था और किसी से झगड़ा करना तो दूर, ऊंची आवाज में बोलता भी नहीं था. परिजनों का कहना है कि विकास की हत्या सिर्फ इसलिए हुई क्योंकि वह ड्यूटी पूरी करने के बाद घर लौट रहा था और रास्ता मांगने के लिए हॉर्न बजा दिया था. 

उन्होंने आरोप लगाया कि बस ड्राइवरों पर काम का अत्यधिक दबाव है और सुरक्षा के कोई पुख्ता इंतजाम नहीं हैं. परिजन अब इंसाफ की गुहार लगाते हुए, दोषियों के खिलाफ सख्त सजा की मांग कर रहे हैं.

कर्मचारियों की जान की कोई सुरक्षा नहीं- डीटीसी यूनियन

विकास की मौत ने डीटीसी कर्मचारी एकता यूनियन को भी हिला दिया है. यूनियन अध्यक्ष ललित चौधरी और महामंत्री मनोज शर्मा ने कहा कि दिल्ली सरकार प्राइवेट बसें तो चला देती है, जिनमें पैनिक बटन और कैमरे पब्लिक की सुरक्षा के लिए होते हैं, लेकिन कर्मचारियों की सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं.

उनका कहना है कि प्राइवेट कंपनियों में ड्राइवरों पर लगातार ‘ड्यूटी ओके’ करने का दबाव बनाया जाता है. डर दिखाया जाता है कि अगर ड्यूटी ओके नहीं हुई तो नौकरी से निकाल देंगे या पैसे काट लेंगे. इसी जल्दबाजी में विकास ने बारात के बीच फंसने से बचने के लिए दो बार हॉर्न बजाया, और यही उसे भारी पड़ गया.

शहीद का दर्जा और 1 करोड़ के मुआबजे की मांग, विरोध प्रदर्शन शुरू

घटना के बाद कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन किया. यूनियन का कहना है कि विकास को शहीद का सम्मान मिले और उसके परिवार को एक करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जाए. साथ ही ड्राइवरों-कंडक्टरों पर मानसिक दबाव और ‘ड्यूटी ओके’ के दबाव को तुरंत खत्म करने की जरूरत बताई गई है.

यूनियन ने पुलिस प्रशासन से मांग की है कि सभी आरोपियों पर कठोरतम कार्रवाई की जाए, ताकि मृतक परिवार को न्याय मिल सके और भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों. बताते चलें कि इस मामले में पुलिस ने एक आरोपी राहुल को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि तीन आरोपी फरार बताए जा रहे हैं, जिनकी तलाश में पुलिस जगह-जगह दबिश डाल रही है.