कड़कड़डूमा कोर्ट ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों से जुड़े एक अहम मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए 6 आरोपियों को बरी कर दिया. मामला सुदामापुरी इलाके की अजीजिया मस्जिद के आसपास दंगे के दौरान हुई लूटपाट और आगजनी से जुड़ा था. कोर्ट ने साफ कहा कि पुलिस की जांच बेहद लापरवाही भरी और खामियों से भरी हुई थी.

पर्याप्त सबूत नहीं हुए पेश

कोर्ट ने ईशु गुप्ता, प्रेम प्रकाश, राजकुमार, मनीष शर्मा, राहुल उर्फ गोलू और अमित उर्फ अन्नू को सभी आरोपों से बरी कर दिया. अदालत ने कहा कि अभियुक्तों पर आरोप साबित करने के लिए पर्याप्त और ठोस सबूत पेश नहीं किए गए.

कोर्ट ने पुलिस जांच पर उठाए सवाल

फैसले में कोर्ट ने पुलिस की जांच पर गंभीर सवाल उठाए. कोर्ट ने कहा कि यह दुखद है कि SHO और SP ने साफ खामियों के बावजूद आरोप पत्र दाखिल किया.

कोर्ट ने कहा कि इस तरह की कार्रवाई से लोगों का भरोसा कानून की व्यवस्था पर से उठ सकता है. अदालत ने नाराजगी जताई कि केस डायरी तक कोर्ट में पेश नहीं की गई और न ही पुलिस रिकॉर्ड में मिली.

गवाह पलटा, पहचान पर शक

मामले में एकमात्र चश्मदीद गवाह अपने बयान से मुकर गया. इसके अलावा, कोर्ट ने सवाल उठाया कि जब आरोपी पहले से हिरासत में थे तो पहचान तस्वीरों के जरिए क्यों कराई गई?

अदालत ने साफ कहा कि तस्वीरों से पहचान तभी मान्य होती है जब आरोपी अज्ञात हों. गिरफ्तार होने के बाद गवाह का अचानक सामने आना और TIP (Test Identification Parade) न कराना जांच प्रक्रिया पर गंभीर शक पैदा करता है.

झूठा केस और अधिकारों का हनन

कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसा लगता है कि मामले को रफा-दफा करने के लिए अभियुक्तों पर झूठा मामला थोपा गया. जांच अधिकारी ने सबूतों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया, जिससे आरोपियों के अधिकारों का गंभीर हनन हुआ.