Delhi Riots: दिल्ली की एक अदालत जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद के बेल पर सोमवार सुनवाई हुई. इस सुनवाई में अभियोजन पक्ष ने गूगल मैप के जरिए इस पूरी षड्यंत्र के कड़ियों को जोड़ा. अभियोजन पक्ष के ओर से अमित प्रसाद ने अतिरिक्त सत्र न्याधीश अमिताभ रावत के कोर्ट में कहा कि दिल्ली दंगों के साजिशकर्ता पहले चरण में दिसंबर 2019 में अपने मंसूबों को अजाम देने में विफल रहे थे. फरवरी 2020 में ‘साइलेंट प्लॉट’ एंग्ल के तहत उन्होंने अपने मंसूबों को बखूबी तरीके से अंजाम दिया.


इस मामले में उन्होंने कई आरोपितों और व्हाट्सएप ग्रुप में शामलि अन्य लोगों के चैट कोर्ट को दिखाए. चैट में हो रही बातों की कड़ियों को घटनाओं से जोड़ते हुए इस बात पर जो दिया कि उत्तर पूर्वी दिल्ली के दंगे अचानक नहीं हुए थे बल्कि करवाए गए थे.  


पूरी साजिश के तहत करवाए गए दंगे
कोर्ट के समक्ष अभियोजन पक्ष ने दंगे के एक सप्ताह पहले का चैट रखते हुए कहा कि 17 फरवरी 2020 को यह तय हो गया था कि उपद्रव होगा. उन्होंने ओवेस सुलमान खान नाम के शख्स का यह चैट पढ़ा, जिसमें लिखा गया था कि अतरह मियां स्थानिय लोगों के पास सबूत है कि बीती रात तुम लोगों ने रोड ब्लॉक करने की योजना बनाई थी. तुम लोगों की दंगा भड़काने की योजना है. इस वक्त तक बीजेपी के नेता कपिल मिश्रा का जिक्र कहीं नहीं किया गया था. इस दंगे में कपिल मिश्रा को बेवजह घसीटा गया है. जबकि उनकी कोई भूमिका ही नहीं रही है.


अमित प्रसाद ने कोर्ट को यह भी बताया कि दिसंबर 2019 में उपद्रव को लेकर कई मुकदमें दर्ज हुए थे. उनके दर्ज मामलों के हवाले से बताया कि उन उपद्रवों में पेट्रोल बम का इस्तेमाल हुआ था. पेट्रोल बम सामान्य दुकान पर नहीं मिलते हैं. इसे सुनियोजित तरीके से बनाया जाता है. इससे यह साबित होता है कि दिल्ली के दंगे पूर्व नियोजित थे.


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