दिल्ली की हवा में सुधार की कोशिशें खासा काम नहीं आ रही हैं. हाल ही में किए गए एयर क्वॉलिटी सर्वे में दिल्ली 25 रैंक फिसलकर 32वें स्थान पर आ गई है. इस सर्वे में 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले 48 शहरों को शामिल किया गया था, जिनमें से दिल्ली 32वें नंबर पर है. यह रैंकिंग वायु गुणवत्ता में सुधार के प्रयासों का आकलन करते हुए तय की गई है.

यह कदम एक केंद्रीय पैनल द्वारा उठाया गया है. दरअसल, दिल्ली और नोएडा के अधिकारियों को हवा में सुधार के लिए तत्काल उपाय करने के निर्देश दिए गए हैं, लेकिन ये शहर प्रदूषण नियंत्रण फंड के उपयोग में पिछड़ रहे हैं.

साल 2024 में, दिल्ली और अहमदाबाद दोनों ही सातवीं रैंक पर थे. 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में इंदौर पहले नंबर पर और जबलपुर दूसरे पर रहा था. यूपी का आगरा गुजरात का सूरत दोनों ही तीसरी रैंक पर आए थे. 

नोएडा तीन रैंक नीचे फिसलाइसके अलावा, 3 से 10 लाख जनसंख्या वाली श्रेणी में, महाराष्ट्र के अमरावती शहर टॉप किया था. यूपी का झांसी और मुरादाबाद शहर, दोनों ही दूसरे स्थान पर रहे, जबकि राजस्तान के अलवर ने तीसरी रैंक पाई थी. नोएडा इस श्रेणी में 9वें स्थान पर रहा, जो पिछले साल से तीन रैंक फिसलकर नीचे आ गया है.

क्या है स्वच्छ वायु सर्वेक्षण?स्वच्छ वायु सर्वेक्षण, राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) के अंतर्गत पर्यावरण मंत्रालय द्वारा शुरू की गई एक वार्षिक रैंकिंग पहल है. यह स्वच्छ वायु कार्य योजनाओं के कार्यान्वयन और वास्तविक वायु-गुणवत्ता सुधारों के आधार पर शहरों और शहरी समूहों का मूल्यांकन करता है. 

इस बीच, एनसीएपी के अंतर्गत कार्यान्वयन समिति (IEC) ने दिल्ली और नोएडा के अधिकारियों को प्रदूषण नियंत्रण निधि के उपयोग में सुधार के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया है.

साल 2026 तक यह है टारगेट21 अगस्त को अपनी 18वीं बैठक में समिति ने कहा, "सभी कार्यान्वयन एजेंसियों को निधि उपयोग में तेज़ी लानी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसी भी शहर में यह 75 प्रतिशत से कम न हो." 2019 में शुरू की गई, NCAP स्वच्छ वायु लक्ष्य निर्धारित करने वाली भारत की पहली राष्ट्रीय पहल है, जिसका लक्ष्य 2019-20 को आधार वर्ष मानकर 2026 तक कण प्रदूषण में 40 प्रतिशत की कमी लाना है.