Delhi Private School News: दिल्ली समेत अन्य प्रदेशों में नया शिक्षा सत्र प्रारंभ हो चुका है. इसको लेकर अभिभावक अपने बच्चों को नए कक्षाओं में प्रवेश को लेकर किताब कॉपी-ड्रेस संबंधित सभी आवश्यकताओं को पूरा करने में जुटे हैं. वहीं दिल्ली, उत्तराखंड (Uttarakhand) और पंजाब (Punjab) समेत अन्य प्रदेशों के प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाई अब पहले से काफी महंगी हो चुकी है. इसके अलावा हर साल पाठ्यक्रम में बदलाव की वजह से नए सत्र में नई किताबें खरीदना अनिवार्य कर दिया जाता है. साथ ही निर्धारित दुकानों की ही किताबें मान्य होंगी, यह भी नियम विद्यालयों की ओ से लगाया गया है, जिससे अभिभावकों की चुनौती और बढ़ चुकी है.


एबीपी लाइव ने दिल्ली के पूर्व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया के विधानसभा क्षेत्र पटपड़गंज के रहने वाले बच्चों के अभिभावकों से इस मामले पर बातचीत की. अधिवक्ता नरेंद्र सिंह ने बताया कि उनके तीन बच्चे दिल्ली के प्राइवेट स्कूल में पढ़ते हैं और अब पढ़ाना काफी मुश्किल हो चुका है. पिछले साल 28000 रुपये 4 महीने के जमा किए गए थे, वहीं इस बार इसे सीधा बढ़ाकर 32000 कर दिया गया है.


अभिभावक बोले- बच्चों की पढ़ाई को जारी नहीं रख पाएंगे


नरेंद्र सिंह ने बताया कि किताबों में पाठ्यक्रम के बदलाव की वजह से हर साल नई किताबों को निर्धारित दुकानों से ही खरीदना स्कूलों की ओर से अनिवार्य किया गया है. इस महंगाई के दौर में तीन बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ाना अब काफी मुश्किल हो चुका है. अगर यही स्थिति रही तो अगले साल बच्चों की पढ़ाई को जारी नहीं रख पाएंगे.


'10 महीने के बच्चे की पढ़ाई की तैयारी अभी से'


इसके अलावा वहां मौजूद चंद्रशेखर कुमार ने कहा कि वर्तमान स्थिति देखकर वह काफी चिंतित है. उनका 10 महीने का बच्चा है, लेकिन ऐसी स्थिति देखकर लगता है कि अभी से ही अपने बच्चे की पढ़ाई को पूरा कराने के लिए पैसों का इंतजाम करना होगा. इस महंगाई के दौर में अभिभावकों के सामने यह सबसे बड़ी चुनौती है और दिल्ली सरकार को प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाना चाहिए.


'प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर रोक लगे'


वहीं अभिभावक सुजीत कुमार ने कहा कि सरकार और खास तौर पर शिक्षा विभाग को इस मामले पर कड़ा रुख अपनाना चाहिए. यह निजी स्कूलों का मनमाना रवैया हर साल चलता है. यह प्राइवेट स्कूलों की गुंडागर्दी है, जिसके आगे हम अभिभावक पूरी तरह से बेबस हैं. अगर यही चलता रहा तो हम अपने बच्चों की निजी स्कूलों में पढ़ाई पूरी नहीं करवा पाएंगे. अभिभावकों का कहना है कि अब रहम की जाए और बच्चों को पढ़ने दिया जाए.


दिल्ली की शिक्षा मंत्री ने क्या कहा?


इस मामले पर दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी ने संज्ञान लेते हुए कहा है कि निजी स्कूलों का मनमाना रवैया नहीं चलेगा. नियमों के खिलाफ जाकर फीस बढ़ोतरी और दुकानों की ओर से किसी भी प्रकार की वसूली की जाती है तो विद्यालय और दुकानों पर सख्त कार्रवाई होगी.


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