दिल्ली पुलिस के दो जवानों ने दुर्घटना पीड़ितों के लिए खून की व्यवस्था करने के नेक इरादे से 2017 में एक व्हाट्सऐप समूह बनाया था और अब पांच साल एवं एक वैश्विक महामारी के बाद 800 से अधिक सदस्यों वाला यह समूह राष्ट्रीय राजधानी और पड़ोसी राज्यों में कैंसर, डेंगू व कोविड के रोगियों के बड़े मददगार के रूप में उभरा है. दिल्ली पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना ने मंगलवार को ‘विश्व रक्तदाता दिवस’ पर अपने कर्मियों एवं उनके परिजनों और आमजन के लिए कल्याणकारी कदम के रूप में जीवनदायिनी को आधिकारिक रूप से अपनाने की घोषणा की.


कॉन्स्टेबल रविंद्र और हेड कांस्टेबल अमित ने जब इस व्हाट्सऐप समूह को बनाया था, उस समय इसमें सिर्फ 20 सदस्य थे. उस समय दोनों दक्षिण दिल्ली के कोटला मुबारकपुर पुलिस थाने में तैनात थे. रविंद्र ने बताया कि अब इसमें 800 से अधिक सदस्य हैं, जिनमें दिल्ली पुलिस, रक्षा बल एवं हरियाणा पुलिस के कर्मी और शिक्षक एवं आम नागरिक शामिल हैं, जिनमें से कई ने 50 से अधिक बार रक्तदान किया है.


व्हाट्सऐप समूह की शुरुआत के बाद से 81 बार रक्तदान कर चुके रविंद्र ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘कोटला मुबारकपुर में तैनाती के दौरान हमने रक्तदाताओं की कमी के कारण कुछ लोगों की मौत होते देखी, जिसके बाद हमने संकल्प लिया कि हम रक्तदाता की अनुपलब्धता के कारण किसी को मरने नहीं देंगे और इस तरह यह यात्रा शुरू हुई.’’ इस बीच, अमित (32) ने कहा कि यह हैरान करने वाला है कि 1.2 अरब लोगों के देश में रक्तदाताओं की कमी के कारण मौतें हो रही हैं. 


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पुलिस उपायुक्त सुमन नलवा ने रविंद्र एवं अमित के प्रयास की सराहना करते हुए कहा, ‘‘जीवनदायिनी एक ऐसी पहल है, जो रक्तदान के माध्यम से लोगों की जान बचा रही है. दिल्ली पुलिस के पुरुषों और महिलाओं को रक्तदान करने के लिए कतार में देखना हमेशा उत्साहजनक और दिल को छू लेने वाला होता है.’’


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