नई दिल्ली: अगर आपके पास भी अलग-अलग जन्मतिथि के दो जन्म प्रमाणपत्र हैं तो सावधान हो जाइए. दिल्ली हाईकोर्ट ने किसी व्यक्ति के अलग-अलग जन्मतिथि वाले दो जन्म प्रमाणपत्र रखने के मामले में एक अहम फैसला सुनाया है. 


कोर्ट ने अपने फैसले में दो जन्म प्रमाणपत्र रखने के नुकसान के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि व्यक्ति की पहचान सिर्फ नाम और उनके माता-पिता से नहीं होती है, बल्कि उसकी पहचान डेट ऑफ बर्थ से भी होती है. 


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दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस संजीव सचदेव ने आगे अपने फैसले में बताया कि ऐसे में यह अहम हो जाता है कि किसी व्यक्ति को दो अलग- अलग जन्मतिथि वाले प्रमाणपत्र रखने की छूट नहीं दी जाए. 


इस मामले में जस्टिस संजीव सचदेव ने साउथ एमसीडी को यह निर्देश दिया कि वह याचिकाकर्ता के दो में से एक बर्थ सर्टिफिकेट को रद्द कर दे.


बर्थ सर्टिफिकेट है काफी अहम दस्तावेज


बता दें कि जन्म प्रमाण पत्र किसी भी बच्चे का सबसे पहला पहचान पत्र (Identity Proof) होता है. यह एक बेहद महत्वपूर्ण दस्तावेज है. इसकी जरूरत समय-समय पर पड़ती है. बर्थ सर्टिफिकेट पाने की प्रक्रिया बहुत आसान होती है. इसे बच्चे के जन्म के 21 दिन के अंदर बनवा लेना चाहिए. 


जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के लिए चाहिए ये डॉक्यूमेंट्स-


-अस्पताल में जारी किया गया बच्चे का जन्म पत्र


-माता-पिता का पहचान पत्र (आधार, पैन)


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