दिल्ली पुलिस ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) 2023 के तहत एक बड़ा कदम उठाते हुए कानून और न्याय व्यवस्था में नया इतिहास बना दिया है. राजधानी में पहली बार ऐसा हुआ है कि आरोपी के कोर्ट में मौजूद न होने के बावजूद उसके खिलाफ इन-अबसेंटिया ट्रायल के तहत आरोप तय किए गए हों. यह मामला नरेला इलाके में रहने वाले 68 वर्षीय रमेश भारद्वाज की हत्या से जुड़ा है.
यह पूरा मामला 28 जनवरी 2025 से शुरू हुआ, जब रमेश भारद्वाज नरेला गए और फिर घर नहीं लौटे. उनकी बेटी ने तुरंत पुलिस में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई. पुलिस जांच में पता चला कि रमेश के पुराने नौकर जितेंद्र मेहतो भी उसी दिन से गायब है.
जल्द ही यह भी सामने आया कि रमेश ने हाल ही में मुकुंदपुर में जमीन बेची थी और करीब 4.5 लाख रुपये उनके पास थे. आखिरी बार वह इसी नौकर जितेंद्र के साथ देखे गए थे. मामला संदिग्ध था और पुलिस ने जांच तेज कर दी.
सीसीटीवी, कॉल रिकॉर्ड और डिजिटल ट्रैकिंग से खुला राज
दिल्ली पुलिस ने तकनीकी जांच का सहारा लिया. सीसीटीवी फुटेज खंगाले, कॉल रिकॉर्ड देखे और लोकेशन ट्रेस की. डिजिटल जांच के दौरान 12 फरवरी को पुलिस को बड़ी सफलता मिली और जितेंद्र मेहतो के बेटे अभिषेक को पकड़ लिया गया.
पूछताछ में अभिषेक टूट गया और उसने बताया कि उसके पिता ने ही रमेश की हत्या की. उसने खुलासा किया कि शव को एक नाले में फेंक दिया गया था. जब पुलिस ने शव बरामद किया, तब वह काफी खराब हालत में था और एक बोरे में बंद मिला.
फरार आरोपी पर भी तय हो सकेंगे आरोप
पहले पुराने कानूनों में फरार आरोपी के न आने पर केस सालों तक लटक जाते थे, लेकिन BNSS 2023 में बदलाव किया गया है. अब धारा 356 के तहत कोर्ट उन आरोपियों के खिलाफ भी आरोप तय कर सकता है जो लगातार फरार हों और कोर्ट की कार्यवाही से बच रहे हों.
इस केस में भी जितेंद्र मेहतो लंबे समय से फरार था. कोर्ट ने उसे प्रोक्लेम्ड ऑफेंडर घोषित किया. इसके बाद 18 नवंबर 2025 को रोहिणी कोर्ट ने पहली बार दिल्ली में इन-अबसेंटिया ट्रायल के तहत उसके खिलाफ आरोप तय कर दिए.
इस फैसले के बाद साफ है कि अब आरोपी फरार होकर मामले को लटकाने की कोशिश नहीं कर पाएंगे. कोर्ट और पुलिस दोनों के पास ऐसे प्रावधान हैं, जिससे केस आगे बढ़ सकता है और न्याय बाधित नहीं होगा.
दिल्ली पुलिस का यह कदम न सिर्फ इस केस में महत्वपूर्ण है बल्कि आने वाले मामलों के लिए भी मिसाल माना जा रहा है. यह साफ संदेश देता है. फरार होकर बचा नहीं जा सकता, कानून हर हाल में अपने हाथ आगे बढ़ाकर पकड़ ही लेगा.