दिल्ली एनसीआर में लगातार बढ़ते वायु प्रदूषण ने लोगों की सेहत पर गहरा असर डालना शुरू कर दिया है. सांस से जुड़ी बीमारियों और एलर्जी के बढ़ते मामलों के बीच लोग अब घरों और दफ्तरों में एयर प्यूरीफायर को जरूरी विकल्प मानने लगे हैं. हालात ऐसे हैं कि बाजार में इनकी मांग रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है.

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दिल्ली और देश के व्यापारियों के शीर्ष संगठन चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री CTI के चेयरमैन बृजेश गोयल ने बताया कि अक्टूबर के बाद जैसे ही दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढ़ा है वैसे ही एयर प्यूरीफायर की मांग करीब पांच गुना तक बढ़ गई है. उन्होंने कहा कि पहले एक दुकान पर औसतन रोजाना चार एयर प्यूरीफायर बिकते थे लेकिन अब यह संख्या बढ़कर करीब बीस तक पहुंच गई है. कई नामी कंपनियों के पास तो स्टॉक तक खत्म हो चुका है.

महंगे GST ने बढ़ाई आम लोगों की परेशानी

CTI चेयरमैन बृजेश गोयल और महासचिव गुरमीत अरोड़ा ने बताया कि एयर प्यूरीफायर और HEPA फिल्टर पर फिलहाल 18 प्रतिशत GST लगाया जा रहा है जो काफी ज्यादा है. उनका कहना है कि जब सरकार खुद प्रदूषण पर पूरी तरह काबू नहीं पा पा रही है तो ऐसे उत्पादों पर इतना अधिक टैक्स आम लोगों पर अतिरिक्त बोझ डाल रहा है.

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वित्त मंत्री को पत्र लिखकर GST घटाने की मांग

बृजेश गोयल ने जानकारी दी कि CTI की ओर से इस मुद्दे पर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखा गया है. पत्र में एयर प्यूरीफायर और HEPA फिल्टर पर GST की दर 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने की मांग की गई है. उनका कहना है कि इससे ज्यादा से ज्यादा लोग स्वच्छ हवा के लिए इन उपकरणों का इस्तेमाल कर सकेंगे.

स्कूलों और अस्पतालों में भी बढ़ा इस्तेमाल

CTI के वरिष्ठ उपाध्यक्ष दीपक गर्ग और उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने बताया कि अब स्कूलों, अस्पतालों, सरकारी दफ्तरों और निजी कार्यालयों में भी एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात को देखते हुए केंद्र सरकार को तुरंत GST दरों में कटौती का फैसला लेना चाहिए ताकि लोगों को राहत मिल सके और स्वच्छ हवा सभी की पहुंच में आ सके.