दिल्ली की जामिया मिल्लिया इस्लामिया में BA(Hons) सोशल वर्क के सेमेस्टर 1 की परीक्षा में पूछे गए एक सवाल से जुड़े विवाद का मामले में यूनिवर्सिटी ने संज्ञान लेते हुए इंटरनल जांच कमेट बनाई है. इस कमेटी ने अपनी इन्वेस्टिगेशन शुरू भी कर दिया है. साथ ही पेपर बनाने वाले प्रोफेसर को फिलहाल सस्पेंड कर दिया है.

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यूनिवर्सिटी का कहना है कि जांच कमेटी की जांच पूरी होने तक और उनकी रिपोर्ट आने तक पेपर बनाने वाले प्रोफेसर को सस्पेंशन पर रखा गया है. यूनिवर्सिटी का कहना है कि इस पूरे मामले पर यूनिवर्सिटी ने सख्त रूख अपनाया है. सस्पेंड किए गए प्रोफेसर जामिया यूनिवर्सिटी के सोशल वर्क डिपार्टमेंट में प्रोफेसर के पद पर हैं. 

आपको बता दें कि Semester Exam के लिए Question Paper बनाने की प्रक्रिया ये है कि जामिया यूनिवर्सिटी में हर डिपार्टमेंट में जो फैकल्टी पढ़ाती है उन्हीं की एक कमेटी बैठती है जिसमें कंसर्न्ड फैकल्टी अपने विषय का एग्जाम पेपर रखती है और कमेटी के अप्रूवल के बाद एग्जामिनेशन में बच्चों के सामने पेपर रखे जाते हैं. और ये पेपर भी इसी प्रक्रिया के तहत छात्रों के सामने एग्जाम रूम में आया था. 

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दरअसल इस मामले की शुरूआत तब हुई जब बीते 21 दिसंबर, रविवार के दिन BA(H) Social Work के पहले सेमेस्टर के एग्जाम में एक सवाल पूछा गया था और ये सवाल था.

प्रोफेसर ने पूछा था ये सवाल

दरअसल, प्रोफेसर वीरेंद्र बालाजी शहारे ने सेमेस्टर में सवाल पूछा था, "भारत में मुस्लिम अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचारों पर उचित उदाहरण देते हुए चर्चा करें."