Delhi News: दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने सरकार द्वारा वित्त पोषित दिल्ली विश्वविद्यालय के 12 कॉलेजों में कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच कराने के लिए अलग से एक कमेटी गठित करने के संकेत दिए हैं. राजनिवास के अधिकारियों ने बताया कि बहुत जल्द एलजी द्वारा गठित एक कमेटी इस मामले की जांच करेगी. एलजी कार्यालय के एक अधिकारी ने बताया कि दिल्ली यूनिवर्सिटी प्रिंसिपल्स एसोसिएशन (डीयूपीए) के एक प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को सक्सेना से मुलाकात की और उन्हें इन 12 कॉलेजों में वित्तीय अनियमितताओं सहित विभिन्न मुद्दों पर प्रकाश डालते हुए एक ज्ञापन सौंपा.


दिल्ली के एलजी ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि वह समयबद्ध तरीके से मुद्दों का स्थायी समाधान खोजने के लिए सभी हितधारकों की एक समिति गठित करने पर विचार करेंगे. दिल्ली की शिक्षामंत्री आतिशी ने शुक्रवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को एक पत्र लिखकर वित्त पोषित दिल्ली विश्वविद्यालय के 12 कॉलेजों में सरकारी खजाने से सैकड़ों करोड़ रुपये की अनियमितताओं और प्रक्रियात्मक खामियां उजागर किया था. अब डीयूपीए का एक प्रतिनिधिमंडल एलजी से मंगलवार को मिला. 


आतिशी ने लगाए थे ये आरोप


दिल्ली विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद के सदस्यों और भारतीय राष्ट्रीय शिक्षक कांग्रेस (आईएनटीईसी) ने मंगलवार को कुलपति योगेश सिंह को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें अनियमितताओं पर चर्चा करने के लिए तत्काल बैठक बुलाने का आह्वान किया गया. आतिशी के पत्र की निंदा करते हुए आईएनटीईसी ने कहा कि इन 12 कॉलेजों से संबंधित एक महत्वपूर्ण नीतिगत मामला हितधारकों से परामर्श किए बिना केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के समक्ष प्रस्तुत किया गया था. आतिशी ने पत्र में कहा कि ये कॉलेज क्योंकि सीधे डीयू से संबद्ध हैं, इसलिए वे धन के विवेकपूर्ण उपयोग के लिए दिल्ली सरकार के प्रति जवाबदेह नहीं हैं. कॉलेजों का या तो विलय किया जा सकता है और दिल्ली सरकार के अधीन लाया जा सकता है. या केंद्र उन्हें असंबद्ध कर सकता है और उनका पूरा नियंत्रण ले सकता है. अगर केंद्र इन कॉलेजों को असंबद्ध करती है तो दिल्ली सरकार उन्हें धन आवंटित करना बंद कर देगी.


AC-INTEC ने सरकार की मंशा पर उठाए सवाल


अपने ज्ञापन में अकादमिक परिषद और आईएनटीईसी के सदस्यों ने कहा कि पत्र में गलती से इन 12 कॉलेजों को 'संबद्ध' के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जबकि वास्तव में वे दिल्ली विश्वविद्यालय के घटक कॉलेज हैं और विश्वविद्यालय से अविभाज्य हैं. इसमें कहा गया है कि नई शिक्षा नीति (एनईपी) के खंड 10.3 के तहत इन कॉलेजों को स्वायत्त डिग्री प्रदान करने वाले कॉलेजों में बदलने की दिल्ली सरकार की मंशा स्पष्ट रूप से निजीकरण के एजेंडे का संकेत देती है, जो आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए शिक्षा को अनुपलब्ध बना देता है. ज्ञापन में आगे कहा गया है कि इस मुद्दे पर विचार-विमर्श करने और निर्णायक समाधान पर पहुंचने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा तत्काल एक विशेष कार्यकारी बैठक बुलाई जानी चाहिए.


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