अभी तक शादी करवाते हिन्दुओं में पुरुष पंडित या इस्लाम में पुरुष काज़ी को ही देखा या सुना है! लेकिन राजधानी दिल्ली में महिला काज़ी ने पूरे इस्लामिक रीति रीवाज़ से एक हाई प्रोफाइल शादी करवाई है. यह सुनने में अटपटा ज़रूर लग सकता है, मगर यह महिला काज़ी अब तक 17-18 मुस्लिम जोड़ों की शादियां करवा चुकी हैं. दरअसल, दिल्ली में महिला काज़ी डॉ. सैयदा सैयदेन हमीद ने पूर्व राष्ट्रपति जाकिर हुसैन के परपोते का निकाह पढ़ाया. 


डॉ. सैयदा सैयदेन हमीद ने बीते शुक्रवार को पूर्व राष्ट्रपति जाकिर हुसैन के परपोते की शादी करवाई. डॉ. सैयदा सैयदेन योजना आयोग की पूर्व सदस्य रह चुकीं हैं, उन्होंने जाकिर हुसैन के परपोते रहमान और उर्सिला अली के निकाह को अंजाम तक पहुंचाने के लिए काज़ी की भूमिका निभाई. मीडिया को दिए एक बयान में डॉ. सैयदा सैयदेन ने बताया, "मैंने 2007 में लखनऊ में पहली बार निकाह पढ़ाया था और उसके बाद मैं 17-18 निकाह पढ़ा चुकी हूं. कुरान शरीफ में ऐसी कोई शर्त नहीं है कि निकाह मर्द पढ़ाए या औरत."


क्या इस्लाम में महिला काजी निकाह पढ़ा सकती है?


इस निकाह की तस्वीर वायरल होने के बाद अब सोशल मीडिया में बहस छिड़ गई है कि क्या कोई महिला काजी किसी दूल्हा-दूल्हन का निकाह पढ़ा सकती है? अब इस शादी को लेकर अखबारों में लेख लिखे जा रहे हैं और सोशल मीडिया पर भी अपने अपने तर्क और अपने अपने जवाब दिए जा रहे हैं.


महिला काजी द्वारा निकाह करवाना एक तरह से समाजिक बंधनों को तोड़ने जैसा है. सोशल मीडिया पर लोग कहीं इसके पक्ष में तो कहीं विपक्ष में अपना तर्क दे रहे हैं. इस मामले में इस्लामी स्कॉलर मोहम्मद रजीउल इस्लाम नदवी ने अपने एक लेख में साफ किया है कि इस्लाम में निकाह को आसान रखा गया है और इस काम को कोई भी मर्द या औरत अंजाम दे सकता है." 


उनका कहना है कि, "जैसे हिंदू में पंडित और ईसाई में पादरी की जरूत होती है, इस्लाम में निकाह के लिए किसी मौलाना की जरूरत नहीं है. उन्होंने बताया कि दो गवाहों की मौजूदगी में लड़का-लड़की एक दूसरे को कबूल कर लें तो निकाह हो जाएगा.  हालांकि, मौलाना नदवी ने साफ किया कि इस्लाम ने निकाह की कार्रवाई से महिलाओं को आजाद रखा इसलिए बेहतर उसी में हैं कि औरत ऐसे मामले में दखल देने की कोशिश नहीं करें."