Lumpy Virus: देश के कई राज्यों में लंपी वायरस (Lumpy Virus) यानि एलएसडी नाम की बीमारी का प्रकोप देखने को मिल रहा है. वहीं इस बीमारी से जहां लाखों पशु प्रभावित हुए हैं दूसरी तरफ से इन पशुओं के डेयरी प्रॉडक्ट को इस्तेमाल करने को लेकर भी लोगों के मन में शंका पैदा हो गई है. इन तमाम शंकाओं को लेकर एक्सपर्ट्स ने कुछ सुझाव दिए हैं. दरअसल गुजरात (Gujarat), राजस्थान (Rajasthan), पंजाब (Punjab) और हरियाणा (Haryana) समेत कई राज्यों में पशुओं में लंपी वायरस का प्रकोप दिख रहा है. आंकड़ों के मुताबिक देश के 197 जिलों में 16 लाख से ज्यादा पशु इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं. वहीं अभी तक करीब सौ के आसपास पशुओं की इस वायरस की वजह से जान जा चुकी है.


'लंपी संक्रमित पशुओं का दूध सुरक्षित'


दरअसल एलएसडी एक वायरल इन्फेक्शन है और इस वायरस से संक्रमित पशु के शरीर पर दाने निकलना और बुखार लक्षणों में शामिल है. इस बीमारी में पशु की मौत भी हो सकती है. अभी तक की रिसर्च के मुताबिक लंपी वायरस का संक्रमण संक्रमित मच्छरों, मक्खियों, जूं वगैरह के काटने से फैल सकता है. साथ ही ये वायरस पानी और हवा के जरिए भी फैल सकता है. वहीं वायरस से संक्रमित पशु के दूध को लेकर आईवीआरआई के ज्वाइंट डायरेक्टर अशोक कुमार मोहंती ने कहा कि एलएसडी का संक्रमण पशुओं से इंसानों में होना संभव नहीं पाया गया है. ऐसे में संक्रमित पशुओं के दूध का इस्तेमाल सुरक्षित है. हालांकि उन्होंने कहा कि वायरस के संक्रमण की वजह से पशु से मिलने वाले दूध के उत्पादन पर असर पड़ सकता है.


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'लंपी के लिए टीका विकसित'


मोहंती ने जानकारी दी कि अगर पशु का वक्त पर वैक्सीनेशन किया गया है तो लंपी रोग के असर को कम किया जा सकता है. वहीं लंपी वायरस की रोकथाम के लिए वैक्सीन पर भी तेजी से काम किया जा रहा है. इसके लिए अभी तक राज्यों में ‘गोट पॉक्स’ टीका दिया जा रहा है. उन्होंने बताया कि वायरस से मुकाबले के लिए एक नया टीका विकसित किया गया है. हालांकि टीके को मंजूरी का अभी इंतजार किया जा रहा है.


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