दिल्ली हाईकोर्ट ने बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स के सब-इंस्पेक्टर पाटिल शिवाजी माधुकर की बर्खास्तगी को सही ठहराया है. माधुकर पर आरोप था कि उन्होंने अपने ही साथी कांस्टेबल की पत्नी के साथ अवैध संबंध बनाए थे. दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस सी. हरि शंकर और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की बेंच ने कहा कि बीएसएफ अधिकारी का यह आचरण न केवल अनुशासित बल की गरिमा के खिलाफ है. बल्कि नैतिक रूप से भी निंदनीय है. कोर्ट ने कहा कि ऐसे काम से जनता का सशस्त्र बलों पर भरोसा कमजोर होता है और यह हर नागरिक की अंतरात्मा को झकझोरने वाला है.
कोर्ट की सख्त टिप्पणी, अनुशासन और नैतिकता पर सवाल
दिल्ली हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए टिप्पणी की हम इस तरह के अमर्यादित व्यवहार को नजरअंदाज नहीं कर सकते. देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाने वाले अधिकारी से ऐसा आचरण अस्वीकार्य है. मामला साल 2019-2020 का है, जब माधुकर पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी के रानीनगर में तैनात थे. आरोप है कि उन्होंने एक कांस्टेबल की पत्नी को मोबाइल फोन, सोने का लॉकेट और कपड़े जैसे उपहार दिए और उसके पति की अनुपस्थिति में उसके घर आते-जाते रहे. शिकायत मिलने के बाद कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी बुलाई गई और फिर जनरल सिक्योरिटी फोर्स कोर्ट ने 2022 में उन्हें दोषी ठहराकर सेवा से बर्खास्त कर दिया.
वही इस मामले में GSFC ने कई गवाहों और डिजिटल साक्ष्यों के आधार पर उन्हें बीएसएफ एक्ट की धारा 40 के तहत अनुशासनहीनता का दोषी पाया था. बाद में बीएसएफ महानिदेशालय ने 2023 में उनकी अपील भी खारिज कर दी.
दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिका खारिज की, जांच को बताया निष्पक्ष
माधुकर ने दिल्ली हाईकोर्ट में दलील दी कि संबंध आपसी सहमति से था और महिला का बयान दबाव में लिया गया. उन्होंने यह भी कहा कि उनके मोबाइल से सबूतों में छेड़छाड़ हुई है. हालांकि कोर्ट ने कहा कि जांच और कार्यवाही पूरी तरह निष्पक्ष रही और पर्याप्त सबूत मौजूद हैं. इसलिए कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी.