Delhi News: दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने दो छात्रों की याचिका पर सुनवाई के बाद गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय (GGSIPU) प्रशासन को बड़ा झटका दिया है. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि देश के विश्वविद्यालयों के स्व-नियमन के लिए बनाया गया है, लेकिन उनका अध्यादेश किसी छात्र के शिक्षा के अधिकार (Right To Education) और मानवीय गरिमा के साथ जीवन जीने के अधिकार को खत्म नहीं कर सकता.


दिल्ली हाईकोर्ट के जज ने कहा कि यह शैक्षणिक संस्थानों पर निर्भर है कि वे उन विद्यार्थियों को जरूरी भत्ते सुनिश्चित करें, जो चिकित्सा कारणों से वंचित हैं. ताकि वैसे विद्यार्थियों को भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की जाए. अदालत ने गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय (जीजीएसआईपीयू) से संबद्ध विभिन्न महाविद्यालयों में पढ़ने वाले दो छात्रों की मेडिकल आधार पर संस्थानों की अदला-बदली संबंधी याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की. अदालत की यह टिप्पणी निजी विश्वविद्यालयों की मनमानी पर पर रोक लगाने का जरिया साबित हो सकता है. 


छात्रों को शिक्षा के अधिकार से वंचित करना जायज नहीं 


दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि छात्र गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा के हकदार हैं और उनके नियंत्रण से परे बीमारियों के कारण उन्हें इससे वंचित रहना ‘देश के भविष्य के साथ अहित’ करने के समान होगा. अदालत ने जीजीएसआईपीयू के कुलपति को छह सप्ताह के भीतर निर्णय लेने का निर्देश दिया और याचिका का निपटारा कर दिया.


शिकायत जायज है तो आईपीयू उठाए जरूरी कदम


हाईकोर्ट ने अपने फैसले में ये भी कहा है कि यदि आईपीयू के कुलपति इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि दोनों याचिकाकर्ताओं की शिकायत जायज थी और उनका अनुरोध स्वीकार्य है, तो पिछले साल की अधिसूचना से प्रभावित हुए बिना इसे स्वीकार किया जाना चाहिए.


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