दिल्ली हाईकोर्ट ने एक रेप केस की सुनवाई के दौरान बड़ा और अहम बयान दिया है, अदालत ने साफ कहा कि कलंक या बदनामी पीड़िता पर नहीं बल्कि अपराध करने वाले पर होनी चाहिए. यह टिप्पणी जस्टिस गिरीश कठपालिया उस वक्त की जब एक आरोपी ने अपने खिलाफ चल रही रेप की कारवाई को खत्म करने की मांग की थी.
आरोपी का कहना था कि केस चलता रहा तो नाबालिग पीड़िता को समाज में बदनामी का सामना करना पड़ेगा, लेकिन हाईकोर्ट ने आरोपी के इस दलील को बेहद आपत्तिजनक और निंदनीय बताया. अदालत में कहा कि समाज में बदलाव जरूरी है, शर्म और बदनामी उस लड़के या आदमी को होना चाहिए जिसने अपराध किया, ना की उस लड़की को जिसने रेप जैसी पीड़ा झेली है.
10000 रुपये का लगाया जुर्माना
कोर्ट ने न सिर्फ आरोपी की याचिका खारिज कर दी बल्कि उसे पर 10000 रुपये का जुर्माना भी लगाया और यह राशि दिल्ली हाईकोर्ट लीगल सर्विस कमेटी में जमा करने का आदेश दिया. जस्टिस गिरीश कठपालिया ने यह भी स्पष्ट किया केवल वही लड़की जो पीड़ित है अपराधी को माफ कर सकती है. वह भी खास परिस्थितियों में भी पिता के माता-पिता किसी समझौते से आरोपी को बड़ी नहीं कर सकते, क्योंकि अन्याय सीधे-सीधे लड़की के साथ हुआ है.
क्या है मामला
यह कैस 2024 का है FIR के मुताबिक आरोपी ने नाबालिक लड़की का वीडियो बनाकर उसे ब्लैकमेल किया और शारीरिक संबंध बनाएं, इस पर पुलिस ने आरोपी के खिलाफ पास्को एक्ट की धारा 6 और भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 65 (1) और 137 के तहत मामला दर्ज किया. गौर करने वाली बात यह है कि आरोपी लंबे समय से फरार होने के कारण घोषित अपराधी करार दिया गया.
दिल्ली हाई कोर्ट का या फैसला ना सिर्फ कानून की दृष्टि से बल्कि समाज की मानसिकता बदलने की लिहाज से भी अहम है, अदालत में साफ कर दिया है कि समाज रेप विक्टिम नहीं बल्कि रेपिस्ट बदनाम होना चाहिए.