दिल्ली हाई कोर्ट ने अहम आदेश देते हुए कहा कि समान शिक्षा और उचित व्यवस्था केवल सरकारी या वित्तपोषित स्कूलों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उन निजी स्कूलों पर भी लागू होती है, जिन्हें सरकार या स्थानीय निकायों ने मान्यता दी है.
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में यह साफ कर दिया कि निजी स्कूलों में भी दिव्यांग छात्रों के लिए समान शिक्षा का अधिकार मिलना चाहिए. दरअसल, मामला जीडी गोयंका पब्लिक स्कूल से जुड़ा था. स्कूल ने एक ऑटिज्म से पीड़ित छात्रा के दोबारा दाखिले के आदेश को चुनौती दी थी, जिसे दिल्ली हाई कोर्ट की सिंगल जज की बेंच ने 1 जुलाई को दिया था.
निजी स्कूलों में दिव्यांग छात्रों को समान अधिकार
लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट की डबल बेंच ने स्कूल की तरफ दायर अपील अस्वीकार कर दी और सिंगल जज के आदेश में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया. हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम के तहत संसद से दी गई विभिन्न सुविधाएं केवल भेदभाव रोकने के लिए नहीं हैं.
हाईकोर्ट कहा कि बल्कि इन्हें समाज में समान अवसर और शामिल होने का अधिकार सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है. हाईकोर्ट ने कहा कि धारा 16 के तहत शिक्षा का अधिकार केवल सरकारी स्कूलों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सभी मान्यता प्राप्त निजी और गैर-वित्तपोषित संस्थानों पर भी लागू होता है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने स्कूलों की दी नसीहत
दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि स्कूलों का यह दायित्व है कि वे बच्चों में किसी भी विशेष शिक्षा संबंधी समस्या या लर्निंग डिसेबिलिटी का पता लगाएं और उसके लिए उपयुक्त पढ़ाई और अन्य उपाय करें.
हाईकोर्ट ने साफ किया कि स्कूलों के लिए जरूरी है कि वे न केवल दिव्यांग बच्चों की पहचान करें, बल्कि उन्हें उचित तरीके से पढ़ाई और सहायता भी दें, ताकि बच्चे अपनी लर्निंग डिसेबिलिटी को दूर कर सकें और सामान्य शिक्षा में शामिल हो सकें.