Jamia University News: दिल्ली हाईकोर्ट ने 29 मार्च को जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय (Jamia) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. हाईकोर्ट ने कानून की छात्रा आकांक्षा गोस्वामी (Akanksha Goswami) की याचिका पर जामिया को ये आदेश जारी किया है. दरअसल, कानूनी की छात्रा ने हाईकोर्ट (Delhi High Court) में याचिका दायर कर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों के लिए 10 फीसदी आरक्षण (EWS Quota) की मांग की है. खास बात यह है कि छात्रा की याचिका पर अदालत ने केंद्र सरकार को भी नोटिस जारी किया. 


दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने जनहित याचिका पर केंद्र सरकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से जवाब मांगा है. अदालत में कानून की छात्रा आकांक्षा गोस्वामी की ओर से आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों के लिए 10 फीसदी आरक्षण की मांग पर पक्ष रखने के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण भारद्वाज और अधिवक्ता आकाश वाजपेयी और आयुष सक्सेना पेश हुए थे. दोनों अधिवक्ताओं ने संविधान के अनुच्छेद 15 -6- के तहत संविधान एक सौ और तीसरा संशोधन अधिनियम 2019 के प्रावधानों के मद्देनजर आरक्षण मांग का जायज बताया. 


10% कोटा पर अमल से किया था इनकार


याचिकाकर्ता ने यूजीसी के उस पत्र को लागू करने की मांग की है, जिसमें 18 जनवरी 2019 को जामिया मिलिया इस्लामिया सहित सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से शैक्षणिक वर्ष 2019-2020 से प्रवेश के समय ईडब्ल्यूएस आरक्षण का 10 प्रतिशत लागू करने का अनुरोध किया गया था. कानूनी की छात्रा गोस्वामी की जनहित याचिका में दावा किया गया है कि जामिया मिलिया इस्लामिया ने 5 फरवरी, 2019 को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत अल्पसंख्यक संस्थान के रूप में अपनी स्थिति का हवाला देते हुए ईडब्ल्यूएस छात्रों के लिए आरक्षण कोटा लागू करने से इनकार कर दिया था. कानून की छात्रा ने यूनिवर्सिटी की इस फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है. साथ ही जामिया के फैसले को संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन माना है. 


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