Delhi News: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने यमुना डूब क्षेत्र के सीमांकन के अलावा अतिक्रमण और अनधिकृत निर्माण को रोकने और हटाने के उपाय सुझाने के लिए दिल्ली के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति (High Level Committee) का गठन किया है. मीडिया में आई एक खबर पर संज्ञान लेते हुए एनजीटी ने इस मसले सुनवाई के बाद कमेटी गठित की है. मीडिया की जिस रिपोर्ट को लेकर एनजीटी ने कमेटी (NGT Committee) गठित करने का फैसला लिया उसके मुताबिक यमुना डूब क्षेत्र में अनधिकृत निर्माण के कारण राष्ट्रीय राजधानी में बाढ़ आती है.


अवैध निर्माण को रोकने के लिए क्षेत्र की सीमांकन जरूरी


नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (National Green Tribunal) के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने कहा कि खबर के अनुसार बाढ़ क्षेत्र में अवैध निर्माण को रोकने के लिए नदी का मानचित्रण आवश्यक है. एनजीटी की पीठ ने कहा कि संबंधित क्षेत्र जहां बाढ़ आई में बड़े पैमाने पर अतिक्रमण के अलावा लगभग 76 अनधिकृत कॉलोनियां हैं. इन्हीं क्षेत्रों में जुलाई में यमुना का जल स्तर बढ़ने के कारण दिल्ली के कई इलाके जलमग्न हो गए थे. डूब क्षेत्र से लगभग 27 हजार लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया था.


यमुना के डूब क्षेत्र में बाढ़ आना अहम मसला


एनजीटी की पीठ ने 17 अक्टूबर 2023 के एक आदेश में कहा था कि अखबार की खबर दर्शाती है कि इसमें पर्यावरण से संबंधित एक महत्वपूर्ण मुद्दा शामिल है. हम दिल्ली के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति गठित करते हैं, जिसमें दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के प्रतिनिधि, एनसीटी दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) के पर्यावरण सचिव, जल शक्ति मंत्रालय (एमओजेएस) के सचिव, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के कार्यकारी निदेशक और दिल्ली नगर निगम के आयुक्त शामिल होंगे. एनजीटी के इस फैसले से साफ है कि यमुना के डूब क्षेत्र में अवैध कॉलोनिसों का बसना गलत है. इसे समय रहते नहीं रोका गया तो पर्यावरणीय समस्याएं और ज्यादा गंभीर हो सकती है.


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