Delhi News: उत्तराखंड के सिलक्यारा सुरंग (Sikyara Tunnel) हादसे में 41 श्रमिकों की जान बचाने वाली टीम का हिस्सा रहे ‘रैट-माइनर’ वकील हसन (Wakeel Hassan) का घर डीडीए ने अपने अतिक्रमण विरोधी अभियान के तहत ढहा दिया. इसके बाद उन्हें अस्थाई आवास ऑफर किया गया लेकिन परिवार इसे ठुकरा दिया. मकान ढहाए जाने के बाद परिवार बेघर हो गया है. वहीं दावा किया जा रहा है कि इन सबके बीच वकील की बेटी की गुरुवा को होने वाली परीक्षा छूट गई. श्री राम कॉलोनी में रहने वाले हसन की बेटी अलीजा के नोट्स और पुस्तकें सहित परिवार का सारा सामान उनके छोटे से घर के मलबे में दबा पड़ा था.


डीडीए ने बुधवार को श्री राम कॉलोनी में 'अतिक्रमण' हटाने का अभियान चलाया था. परिवार के सदस्यों ने दावा किया कि राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (NIOS) की कक्षा 10वीं की छात्रा अलीजा घर तोड़े जाने के बाद से हो-हल्ले के कारण अपनी होम साइंस की परीक्षा नहीं दे सकी. हसन की पत्नी सबाना ने बताया, ''अपनी परीक्षा के दिन मेरी बेटी सड़क पर खड़ी रही. उसकी किताबें, यूनिफॉर्म और नोट्स सब कुछ मलबे के नीचे कहीं दबा हुआ है.''


मातापिता की गैरमौजूदगी में तोड़ा गया घर
सबाना ने यह भी आरोप लगाया कि कुछ लोग जबरन उनके घर का दरवाजा तोड़कर अंदर घुस आए और जब तोड़फोड़ की गई तो घर पर केवल उनकी बेटी और बेटा ही थे.  सबाना ने कहा, ''जब डीडीए अधिकारी, पुलिस के साथ आए तो घर पर कोई नहीं था. घर पर अलीजा अपनी परीक्षा की तैयारी कर रही थी और मेरा बेटा अजीम मौजूद था. मकान को तोड़े जाने की सूचना मिलने पर मेरे पति और मैं आनन-फानन में घर पहुंचे.'' अलीजा ने कहा कि परीक्षा छूटने के बाद उसने अपने शिक्षक से बात की, जिन्होंने उसे आश्वासन दिया कि कुछ न कुछ किया जाएगा.


आसपास के बच्चों को भी पढ़ाती हैं अलीजा
 अलीजा के बड़े भाई अजीम ने कहा, ''कोविड-19 के दौरान मेरी पढ़ाई खराब हो गई थी लेकिन मेरी बहन पढ़ाई को लेकर बहुत उत्साहित थी. वह हमारे छोटे भाई और आसपास के घरों के बच्चों को पढ़ाती थी.'' डीडीए का कहना है कि अतिक्रमण हटाओ अभियान उस जमीन पर चलाया गया, जो 'योजनाबद्ध विकास भूमि का हिस्सा' थी. डीडीए ने स्पष्ट किया कि तोड़-फोड़ अभियान से पहले या उसके दौरान अधिकारियों को सिलक्यारा सुरंग से मजदूरों को बाहर निकालने वाले अभियान में हसन की भूमिका की जानकारी नहीं थी.


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