भाजपा के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों में मनमाने तरीके से फीस बढ़ाने पर रोक लगाने के लिए बड़ा कदम उठाया है. शुक्रवार को दिल्ली विधानसभा ने 'दिल्ली स्कूल शिक्षा शुल्क निर्धारण एवं विनियमन में पारदर्शिता विधेयक, 2025' को मंजूरी दे दी. करीब 4 घंटे की गरमागरम बहस के बाद यह विधेयक पारित हुआ.
पहला बड़ा कानून, विपक्ष का विरोध
इस साल फरवरी में सत्ता में आने के बाद भाजपा सरकार का यह पहला बड़ा विधेयक है. भाजपा के 41 विधायकों ने इसके पक्ष में वोट दिया, जबकि आम आदमी पार्टी (आप) के 17 विधायकों ने विरोध किया.
मतदान के समय भाजपा के 7 और ‘आप’ के 5 विधायक सदन में मौजूद नहीं थे. विपक्ष की नेता आतिशी समेत ‘आप’ विधायकों ने 8 संशोधन पेश किए, लेकिन सभी खारिज हो गए.
सरकार का दावा- अभिभावकों को मिलेगी राहत
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि इस विधेयक से दिल्ली के स्कूली बच्चों के अभिभावकों को बड़ी राहत मिलेगी. अब उन्हें हर साल बढ़ती फीस की चिंता नहीं करनी पड़ेगी. शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने कहा कि नया कानून निजी स्कूलों की फीस वृद्धि पर सख्त नियामक ढांचा बनाएगा, ताकि स्कूल मनमानी न कर सकें.
विपक्ष का आरोप- अभिभावकों के हित में नहीं
‘आप’ की नेता आतिशी ने इस विधेयक को अभिभावकों के हितों के खिलाफ बताया. उन्होंने आरोप लगाया कि इसमें कई जरूरी प्रावधान शामिल नहीं हैं, जिससे फीस नियंत्रण प्रभावी नहीं होगा. उन्होंने कहा कि भाजपा ने जिन प्रावधानों का पहले मजाक उड़ाया था, अब वही मांगों को नजरअंदाज कर रही है.
अब उपराज्यपाल की मंजूरी जरूरी
विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने बताया कि विधेयक को मंजूरी के लिए दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना के पास भेजा जाएगा. मंजूरी मिलने के बाद यह कानून लागू हो जाएगा और दिल्ली के सभी मान्यता प्राप्त, गैर-सहायता प्राप्त निजी स्कूलों पर लागू होगा.
क्या बदल जाएगा?
इस विधेयक के लागू होने के बाद स्कूलों को फीस बढ़ाने से पहले सरकार की अनुमति लेनी होगी. साथ ही फीस वृद्धि का पूरा ब्यौरा सार्वजनिक करना होगा. इसका सीधा असर उन लाखों अभिभावकों पर पड़ेगा जो हर साल बढ़ती फीस से परेशान रहते हैं.