Delhi Pollution Today: दिल्ली में सर्दी का असर शुरू होने से पहले प्रदूषण (Delhi Air Pollution AQI) ने डेरा डाल दिया है. पहले पीएम 10 और अब पीएम 2.5 जैसे धूल कणों की वजह से देश की राजधानी में वायु प्रदूषण (Delhi Air pollution) को नियंत्रित करना दिल्ली सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती के रूप में उभरकर सामने आया है. अरविंद केजरीवाल सरकार (Arvind Kejriwal Government) ने इस समस्या से पार पाने के लिए पांच स्तरों पर अलग-अलग ​अभियान की शुरुआत की है. जानें इन अभियान के नाम. साथ ही ये भी समझिए कि कैसे इन अभियानों के जरिए दिल्ली में प्रदूषण पर लगाम लगाना संभव  होगा?


  1. ग्रीन वॉर रूम  


ग्रीन वार रूम ( Green War Room) दिल्ली में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए केजरीवाल सरकार की एक ढांचागत व्यवस्था है. इसका प्रबंधन वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की 17 सदस्यीय टीम द्वारा किया जा रहा है. यह दिल्ली सचिवालय में स्थित है. ग्रीन वॉर रूम प्रदूषण नियंत्रण के लिहाज से एक एकीकृत और कारगर प्लेटफार्म के रूप में काम करता है. ग्रीन वार रूम से दिल्ली सरकार के कुल 28 सरकारी विभाग जुड़ें हैं. ग्रीन वार रूम दिल्ली वालों को ग्रीन दिल्ली ऐप के माध्यम से प्रदूषण से संबंधित शिकायतों की रिपोर्ट करने की इजाजत देता है. लोगों से पॉल्यूशन की शिकायत मिलने पर उसका समाधान ग्रीन वार रूम के अधिकारी और कर्मचारी तत्काल करते हैं.


2. एंटी डस्ट कैंपेन


दिल्ली में धूल प्रदूषण को रोकने के लिए पिछले कुछ समय से एंटी डस्ट कैंपेन (Anti Dust Campaign) अभियान जारी है. दिल्ली सरकार ने एंटी डस्ट कैंपेन के तहत कुछ कार्यों पर पाबंदियां लगाई है. इनमें निर्माण स्थलों के चारों ओर ऊंची टिन की दीवारी का होना जरूरी है. 5 हजार वर्गमीटर से बड़े निर्माण स्थलों पर एक एंटी-स्मॉग गन, 10 हजार वर्गमीटर से बड़ी निर्माण स्थालों पर दो एंटी स्मॉग बंदूकें, 15 हजार वर्गमीटर से बड़ी साइटों पर तीन एंटी-स्मॉग गन और 20 हजार वर्गमीटर से बड़ी साइटों पर चार एंटी-स्मॉग गन लगाना अनिवार्य है. साथ ही  निर्माण या ध्वस्तीकरण कार्य को तिरपाल या नेट से ढंकना सभी के लिए अनिवार्य है. ऐसा न करने पर सख्ती से कार्रवाई का प्रावधान है.  


3. डी-कंपोजर का छिड़काव


दिल्ली देहात के खेतों में किसानों द्वारा फसल के अवशेषों यानी पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण की समस्या से निजात दिलाने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा ने एक खास तरह का कैप्सूल तैयार किया है. इसका एक तय मात्रा में पानी, बेसन और गुड़ के साथ मिलाकर पराली पर छिड़काव किया जाता है. इस कैप्सूल का निर्माण पांच तरह के जीवाणुओं को मिलाकर हुआ है. इसका प्रयोग पराली को तत्काल गलाने के लिए किया जाता है. साथ मिट्टी के स्वास्थ्य में भी सुधार होता है. डी-कंपोजर के छिड़काव से पराली से होने वाले प्रदूषण से भी निजात मिलती है. 


4. रेड लाइट ऑन-गाड़ी ऑफ कैंपेन


दिल्ली में इस (Red Light On-Car Off Campaign) अभियान की शुरुआत गुरुवार को पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने पीएम 2.5 को नियंत्रित करने के मकसद से की है. पैट्रोलियम कंजर्वेशन रिसर्च एसोसिएशन के आंकड़ों के मुताबिक रेड लाइट ऑन गाड़ी ऑफ अभियान का लोग पूरी तरह पालन करते हैं, तो दिल्ली के अंदर 15 से 20 प्रतिशत तक वाहन प्रदूषण को कम किया जा सकता है. अमूमन यह देखा गया है कि अगर कोई व्यक्ति दिल्ली में अपनी गाड़ी लेकर निकलता है तो वापस घर पहुंचने तक लगभग 8 से 10 रेडलाईट पर रूकता है. यदि वह 2 मिनट एक चौराहे पर रूकता है और अपनी गाड़ी को आफ नहीं करता है तो वह 25 से 30 मिनट अपने गाड़ी के ईंधन को व्यर्थ में जलाता है. जिसकी कोई आवश्यकता नहीं है. इसलिए इस नजरिए को बदलने की जरूरत है. इस बात को ध्यान में रखते हुए रेड लाइट ऑन गाड़ी ऑफ अभियान की शुरुआत दिल्ली में हुई है. इस योजना के तहत रेड लाइट पर वाहन चालकों को इस बात के लिए जागरूक किया जाएगा कि वो रेड लाइट होने पर अपने वाहन को बंद कर दें. साथ ही इसे अपनी आदत में शामिल कर लें. 


5. विंटर एक्शन प्लान


दिल्ली सरकार ने सर्दियों में राजधानी के लोगों को प्रदूषण से ​निजात दिलाने के लिए विंटर एक्शन प्लान (Winter Action Plan) 2023-24 तैयार किया है. इस योजना के तहत एमसीडी ने दिल्ली में 13 प्रदूषण के हॉटस्पॉट की पहचान की है. ये हॉटस्पॉट नरेला, बवाना, मुंडका, वजीरपुर, रोहिणी, आरके पुरम, ओखला, जहांगीर पुरी, आनंद विहार, विवेक विहार, पंजाबी बाग, मायापुरी और द्वारका शामिल हैं. इन स्थानों पर प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए विशेष कदम उठाए गए हैं.


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