Delh News: दिल्ली अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान (Delhi AIIMS) संस्थान ट्रॉमा सेंटर के प्रमुख दोपहिया वाहन के पीछे बैठने वाले सवारी को लेकर चौंकाने वाला बयान दिया है. उन्होंने कहा कि दोपहिया वाहनों के पीछे बैठने वाली सवारियों (Pillion Riders) को खुद अपनी जान की परवाह नहीं है. जबकि हेलमेट (Helmet) पहनना कानूनन अनिवार्य है. साथ ही ऐसा करना जान के लिए भी खतरनाक है. 


उन्होंने अपने बयान में कहा है कि दोपहिसा वाहनों के पीछे बैठने वाली 40 प्रतिशत से अधिक सवारियां हेलमेट नहीं पहनती हैं. ऐसे लोग सड़क दुर्घटनाओं में गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं.






हेलमेट न पहनना दुर्भाग्य


दिल्ली अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (All India Institute of Medical Sciences) ट्रॉमा सेंटर के प्रमुख डॉ. कामरान फारूक ने कहा, "हमने पाया है कि मोटर चालित दोपहिया वाहनों यानी मोटरसाइकिल और स्कूटर में पीछे बैठने वाली लगभग 40 प्रतिशत सवारियां दुर्भाग्य से हेलमेट नहीं पहन रही हैं. इसी तरह एम्स ट्रॉमा सेंटर में जितने भी मरीज आते हैं, उनमें से लगभग 80 प्रतिशत दोपहिया वाहन चालक हेलमेट पहने हुए थे और 20 प्रतिशत चालक हेलमेट नहीं पहने हुए थे."  


यह टेंडेंसी नियमों के खिलाफ


डॉ. कामरान फारूक का कहना है कि यह टेंडेंसी पूरी तरह से कानून के खिलाफ है. चाहे वह ड्राइवर हो या यात्री उन्हें हेलमेट पहनने की जरूरत है.  यह कानूनन अनिवार्य है. उन्हें हेलमेट पहनना होगा. हम चोटों और हेलमेट के बारे में जागरूकता अभियान चलाते रहते हैं. यह सामान्य समझ की बात है कि जब आप मोटरसाइकिल या दोपहिया वाहन चला रहे हों, तो आपको हेलमेट पहनना होगा. क्योंकि दुर्घटना होने की संभावना बहुत ज्यादा होती है. 


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