MCD Mayor Election: दिल्ली नगर निगम में मंगलवार को भी मेयर, डिप्टी मेयर और स्टैंडिंग कमेटी के 6 सदस्यों का चुनाव नहीं हो पाया. पीठासीन अधिकारी सत्या शर्मा ने आप और बीजेपी के पार्षदों के हंगामे के बीच चुनाव को आगे के लिए टाल दिया. पीठासीन अधिकारी के इस फैसले पर आप ने सख्त ऐतराज जताया. आप के नेताओं ने कहा कि बीजेपी हार के डर से चुनाव को टाल रही है. इतना ही नहीं, चुनाव टालने के विरोध में आप विधायकों, सांसदों और पार्षदों ने एमसीडी में 5 घंटे तक प्रदर्शन ​भी किया. आप नेताओं ने धरना उस सयम समाप्त किया जब उन्हें यह आश्वासन मिला कि जल्द ही चुनाव कराए जाएंगे.


दरअसल, चुनाव टालने को लेकर आप संसदों, विधायकों और पार्षदों का आरोप है कि बीजेपी हार के डर से चुनाव टाल रही है, बहुत हद तक सही है. ऐसा इसलिए कि एमसीडी में खुद के दम पर आम आदमी पार्टी के पास बहुमत है. संख्या बल के लिहाज से मेयर और डिप्टी मेयर पद पर आप की जीत तय मानी जा रही है, लेकिन बीजेपी आप स्टैंडिंग कमेटी चेयरमैन का पद छीनना चाहती है. अगर ऐसा हुआ तो आप का दिल्ली की मिनी सरकार पर कब्जे का प्लान पूरा नहीं होगाा. ऐसा इसलिए कि ​मेयर और डिप्टी मेयर होने के बाद भी स्टैंडिंग कमेटी चेयरमैन पद बीजेपी के पास होने की स्थि​ति में केजरीवाल सरकार दिल्ली नगर निगम में अपने हिसाब से प्रस्ताव नहीं पास करा पाएगी.


ये है समीकरण 


दरअसल, दिल्ली नगर निगम में कुल निर्वाचित पार्षदों की संख्या 250 है. 14 दिल्ली सरकार द्वारा नामित पार्षद हैं. इनमें 15 आपके विधायक तो एक बीजेपी विधायक शामिल हैं. ये विधायक भी मेयर चुनाव में वोट डालने के अधिकारी होते हैं. इसी तरह सात लोकसभा और तीन राज्यसभा के सदस्य में वोट डाल सकते हैं. लोकसभा के सभी सदस्य बीजेपी से हैं और राज्यसभा के तीन सदस्य आप से हैं. इस तरह ​एमसीडी में कुल मतदाताओं की संख्या 174 है. बहुमत के लिहाज से ​मेयर और उसी का होगा जिसके पास 250 में से 138 वोट होंगे. आम आमदी पार्टी के पास कुल वोट 150 हैं. यानि आप अपने दम पर दोनों पर पर जीत हासिल करने में सक्षम है. कांग्रेस के नौ पार्षद और तीन निर्दलीय पार्षद बीजेपी के पक्ष में वोट कर भी दें तो भी आपकी दोनों पदों पर जीत तय है. फिर, अहम सवाल यह है कि समस्या क्या है?


यहां फंसा है पेंच


दरअसल, एमसीडी की स्टैंडिंग कमेटी बहुत पावरफुल कमेटी होती है. इसमें कुल सदस्यों की संख्या 18 है. तय है स्टैंडिंग कमेटी का चेयरमैन वही चुना जाएगा जिसके पास दस सदस्य होंगे. आम आदमी पार्टी की मुश्किल यही है वो स्टैंडिंग कमेटी चेयरमैन पद के लिए 10 सदस्य को जुटा पाने में सक्षम नहीं है. ऐसे में आप के पास निगम में बहुमत होते हुए वो निष्प्रभावी बनी रहेगी. 


यहां पर यह जान लेना भी जरूरी है कि दिल्ली नगर निगम के 12 जोन हैं. हर जोन से एक एक सदस्य चुनकर आते हैं. छह सदस्यों का चुनाव निर्वाचित पार्षद करेंगे. छह में तीन को अपने दम पर आप जिताने में सक्षम है. बीजेपी दो को जिताने में सक्षम है. एक सीट पर बीजेपी आपके बीच टक्कर है. वहीं 18 में से 12 सदस्य जोन से चुनकर आएंगे. 12 जोन में आप के पास पांच में बहुमत है. बीजेपी के पास चार में बहुमत है. यानि तीन जोन से जिसका सदस्य चुनकर आएगा वो स्टैंडिंग कमेटी का चेयरमैन बनेगा. यहां पर बीजेपी ने एलजी के जरिए खेल कर दिया है. एलजी ने तीन जोन में 10 एल्डरमैन काउंसलर नियुक्त किए हैं. एलजी के इस फैसले में तीन में से दो पर बीजेपी की जीत तय है. एक जोन में भी बीजेपी कांग्रेस पार्षदों के सहारे परिणाम को अपने पक्ष में करने में जुटी है. संभावना यह है कि अंतिम जोन का परिणाम बीजेपी के पक्ष में जा सकता है. यानि बीजेपी अपनी रणनीति में सफल रही तो स्टैंडिंग कमेटी चेयरमैन का पद आप से छीन सकती है. निगम की अब सारी लड़ाई ही स्टैंडिंग कमेटी चेयरमैन पद को लेकर है. 


सिक्रेट वोटिंग आप की कमजोरी


कुल मिलाकर एमसीडी में वोट गणित के मामले में आप भगवा दल से काफी आगे दिख रही है, लेकिन एमसीडी में वोटिंग सीक्रेट बैलेट से होती है. दलबदल विरोधी कानून पार्षदों पर लागू नहीं होता. यानी पार्टी व्हिप के खिलाफ जाकर भी अगर कोई वोटिंग करता है तो उसकी सदस्या समाप्त नहीं होगी. इस नियम की वजह से एमसीडी में क्रॉस वोटिंग की आशंका बनी रहती है. आप नेताओं को आशंका है कि बीजेपी वाले इस रणनीति पर भी काम रह हैं. वो बार—बार मेयर का चुनाव इसलिए टाल रहे हैं ताकि अपने पक्ष में विरोधी खेमे के पार्षदों का समर्थन हासिल कर लें. 


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