दिल्ली के ग्रामीण इलाकों में वर्षों से चले आ रहे जमीन और मकान के मालिकाना हक से जुड़े विवादों को खत्म करने की दिशा में दिल्ली सरकार ने एक बड़ा और ऐतिहासिक कदम उठाया है. मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने घोषणा की है कि सरकार जल्द ही आबादी देह क्षेत्रों का व्यापक सर्वे शुरू करेगी. इस सर्वे के जरिए गांवों में बसे लोगों को उनकी जमीन और मकान के स्वामित्व का पक्का और कानूनी प्रमाण मिलेगा.
'संपत्ति का वैधानिक अधिकार देना है उद्देश्य'
मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी जानकारी के मुताबिक, सरकार ने इसके लिए ‘दिल्ली आबादी देह सर्वेक्षण और अभिलेख संचालन नियमावली, 2025’ का मसौदा तैयार कर लिया है. यह पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई स्वामित्व योजना (SVAMITVA Scheme) से जुड़ी हुई है. जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को उनकी संपत्ति का वैधानिक अधिकार देना है.
सीएम रेखा गुप्ता ने कहा कि आबादी देह क्षेत्रों में रहने वाले लाखों लोग दशकों से बिना किसी कानूनी दस्तावेज के अपने घरों में रह रहे हैं. न तो उनके पास जमीन का रिकॉर्ड है और न ही वे बैंक से लोन जैसी सुविधाएं ले पाते हैं. इस नई व्यवस्था से यह समस्या खत्म होगी और लोगों को उनका हक मिलेगा.
ड्रोन से होगा सर्वे, जमीन पर भी होगी जांच
सरकार इस सर्वे में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करेगी. ड्रोन और हवाई फोटोग्राफी से गांवों की पूरी मैपिंग की जाएगी, जिससे हर प्लॉट, गली, सड़क और घर की सही जानकारी मिल सके. इसके साथ-साथ मौके पर जाकर मैदानी सत्यापन भी किया जाएगा ताकि किसी तरह की गलती न रहे.
31 गांवों में पूरा हुआ ड्रोन सर्वे
राजस्व विभाग ने भारतीय सर्वेक्षण विभाग के साथ मिलकर पहले ही 48 गांवों में इस योजना पर काम शुरू कर दिया है. अब तक 31 गांवों में ड्रोन सर्वे पूरा हो चुका है और 25 गांवों के नक्शे जांच के बाद आगे की प्रक्रिया के लिए भेजे जा चुके हैं.
डिजिटल रिकॉर्ड और मिलेगा प्रॉपर्टी कार्ड
सरकार आबादी देह से जुड़े सभी रिकॉर्ड को कंप्यूटराइज करेगी और एक डिजिटल पोर्टल बनाया जाएगा, जहां से लोग आसानी से अपने जमीन के कागज प्राप्त कर सकेंगे. सर्वे पूरा होने के बाद लोगों को प्रॉपर्टी कार्ड दिए जाएंगे, जो उनके मकान या जमीन का कानूनी प्रमाण होंगे. इससे ग्रामीण परिवार बैंक लोन, सरकारी योजनाओं और अन्य सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे.
क्या है आबादी देह
आबादी देह वह क्षेत्र होता है जहां गांव की आबादी रहती है. इसमें घर, गोशाला, खलिहान और अन्य निर्माण शामिल होते हैं. आजादी से पहले इन इलाकों का अलग से कोई राजस्व रिकॉर्ड नहीं बनाया गया जिससे आज तक जमीन के मालिकाना हक को लेकर भ्रम बना हुआ है. इसी कारण गांवों में अक्सर विवाद होते रहे हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस सर्वे से न सिर्फ जमीन विवाद खत्म होंगे बल्कि गांवों का विकास भी तेज होगा. सड़क, पानी, बिजली और अन्य सुविधाओं की योजना बेहतर तरीके से बनाई जा सकेगी.यह कदम दिल्ली के ग्रामीण इलाकों में पारदर्शी और मजबूत भूमि प्रबंधन की नींव रखेगा और आने वाले वर्षों तक इसका लाभ लोगों को मिलता रहेगा.