दिल्ली में यमुना नदी के किनारे बनाए जाने वाले 53 किलोमीटर लंबे साइकिल ट्रैक को लेकर काम तेज़ हो गया है. मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने दिल्ली सचिवालय में इस बड़े प्रोजेक्ट की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की. यह साइकिल ट्रैक वजीराबाद यमुना पुल से शुरू होकर एनएच-24 होते हुए कालिंदी कुंज यमुना बायोडायवर्सिटी पार्क तक बनाया जाएगा. ट्रैक को दोनों तरफ से यमुना किनारे विकसित किया जाएगा और कुछ जगहों पर यह यमुना को पार भी करेगा. मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने बैठक में कहा कि यह प्रोजेक्ट सिर्फ साइकिल चलाने का रास्ता नहीं होगा, बल्कि दिल्ली की ग्रीन मोबिलिटी और पर्यावरण सुधार का एक नया अध्याय बनेगा. उन्होंने बताया कि इस ट्रैक से लोगों को साफ हवा मिलेगी, वाहनों का धुआं कम होगा, ट्रैफिक का दबाव घटेगा और लोगों को स्वास्थ्य लाभ भी मिलेगा. इसके साथ ही यमुना के किनारों पर हरियाली बढ़ेगी और दिल्ली में ईको-टूरिज्म को नई पहचान मिलेगी.

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सभी विभागों से एनओसी पूरी

बैठक में डीडीए, पीडब्ल्यूडी, सिंचाई व बाढ़ नियंत्रण विभाग, रेलवे, दिल्ली जल बोर्ड, ऊर्जा विभाग और एनएचएआई के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे. अधिकारियों ने बताया कि ज़्यादातर विभाग इस प्रोजेक्ट को एनओसी दे चुके हैं और आपसी समन्वय भी लगभग पूरा हो चुका है. रेलवे की मंजूरी की प्रक्रिया अंतिम चरण में है और जल्द ही समाधान निकलने की उम्मीद है.

साइकिल ट्रैक भविष्य की जरुरत

मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने सभी विभागों को साफ निर्देश दिया कि परियोजना को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए और किसी भी स्तर पर देरी न होने दी जाए. उन्होंने कहा कि दिल्ली जैसे बड़े और व्यस्त शहर में साइकिल ट्रैक का नेटवर्क तैयार होना भविष्य की जरूरत है, क्योंकि इससे शहर को स्वच्छ, शांत और स्वस्थ बनाने में मदद मिलेगी. अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को बताया कि पहला चरण नए साल से शुरू होने की संभावना है और इसे एक वर्ष के भीतर पूरा करने का लक्ष्य है. सरकार की योजना है कि तीनों चरणों का निर्माण अधिकतम तीन साल में पूरा कर लिया जाए.

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परियोजना में होंगे तीन चरण

इस परियोजना के तीन चरण होंगे. पहला चरण पुराने यमुना रेल पुल से एनएच-24 तक, दूसरा एनएच-24 से कालिंदी कुंज बायोडायवर्सिटी पार्क तक, और तीसरा चरण वजीराबाद बैराज से पुराने यमुना रेल पुल तक बनाया जाएगा. बता दें कि दुनिया के कई बड़े शहरों में नदी नदी किनारे साइकिल ट्रैक ने पर्यावरण सुधार में बड़ी भूमिका निभाई है. ऐसे में दिल्ली में इस तरह का कॉरिडोर बनना देश की राजधानी के लिए एक बेहतर कदम माना जा रहा है. मुख्यमंत्री ने भरोसा जताया कि यह प्रोजेक्ट आने वाली पीढ़ियों के लिए बेहतर हवा, बेहतर स्वास्थ्य और बेहतर जीवनशैली का तोहफ़ा साबित होगा.