Delhi News: दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने एक निजी स्कूल को निर्देश दिया है कि वह कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) नहीं लगवाने वाले एक शिक्षक को ड्यूटी में शामिल होने की अनुमति दे, क्योंकि मेडिकल बोर्ड ने पाया है कि उसे कोविड -19 वैक्सीन से एलर्जी होने का अधिक खतरा है. साथ ही जस्टिस रेखा पल्ली ने शिक्षक को स्कूल परिसर में हमेशा मास्क पहनने और कोविड-उपयुक्त व्यवहार के साथ-साथ दिशा-निर्देशों का पालन करने के लिए कहा है. शिक्षक को राहत तब मिली है, जब दिल्ली सरकार (Delhi Government) ने हाईकोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता की चिकित्सा स्थिति को देखते हुए उसने एक विशेष मामले के रूप में कोरोना टीकाकरण (Corona Vaccination) से छूट के उनके अनुरोध को स्वीकार कर लिया है.


हाइकोर्ट ने याचिकाकर्ता को अपने कर्तव्यों में शामिल होने की अनुमति देते हुए कहा कि एम्स द्वारा गठित 5 सदस्यीय बोर्ड की ओर से दी गई रिपोर्ट में याचिकाकर्ता को एलर्जी प्रतिक्रिया विकसित करने का एक उच्च जोखिम है. अदालत ने स्कूल को 10 प्रतिशत की कटौती के बाद शेष वेतन, साथ ही याचिकाकर्ता को संबंधित अवधि के लिए देय भत्ते जारी करने का भी आदेश दिया है. शिक्षक द्वारा दायर याचिका के अनुसार कोरोना टीकाकरण से इनकार करने के बाद स्कूल की ओर से प्रवेश से मना कर दिया गया था. शिक्षक एंजियोइम्यूनोब्लास्टिक टी-सेल लिंफोमा (एक प्रकार का कैंसर) से पीड़ित है.


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शिक्षको को पहले दी गई थी छूट


ऐसे में शिक्षक को डॉक्टरों की ओर से लगातार सलाह दी जा रही थी कि अगर वह कोरोना वैक्सीन लेता है तो उसकी स्थिति खराब हो सकती है. हालांकि, सभी शिक्षकों के लिए 100 प्रतिशत टीकाकरण को अनिवार्य बनाने वाले सरकारी आदेशों के बाद उन्हें अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने की अनुमति नहीं दी गई और उन्हें अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा, क्योंकि कोरोना का टीका लेना उनके लिए ज्यादा जोखिम वाला था. शिक्षक ने हाईकोर्ट को बताया कि अधिकारियों द्वारा उन्हें दी गई छूट को अक्टूबर 2021 में वापस ले लिया गया था.


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