Bharatiya Nyaya Sanhita Bill 2023: पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ने रविवार (13 अगस्त) को आरोप लगाया कि औपनिवेशिक काल की भारतीय दंड संहिता (IPC) की जगह लाया गया भारतीय न्याय संहिता विधेयक ‘राजनीतिक उद्देश्यों के लिए पुलिस की दमनकारी शक्तियों’ का इस्तेमाल करने की अनुमति देता है. राज्यसभा सांसद ने कहा कि, एनडीए सरकार औपनिवेशिक युग के कानूनों को खत्म करने की बात करते हैं, लेकिन वो देश में तानाशाही लाना चाहते हैं. 


सरकार ऐसा कानून बनाना चाहती है जो न्यायाधीशों, लोक सेवकों और अन्य सरकारी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की उन्हें अनुमति दें. राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने आगे कहा कि, मैं जजों को सावधान रहने की सलाह देना चाहूंगा. ये बिल देश को अंधकार में धकेल देगा. यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता के बिल्कुल विपरीत है, यह पूरी तरह से असंवैधानिक है. यह साफ तौर पर देखा जा सकता है कि, सरकार नहीं चाह रही कि इस देश में लोकतंत्र कायम रहे.





 सरकार ने लोकसभा में पेश किए ये तीन विधेयक


आपराधिक कानूनों में आमूल-चूल बदलाव करने के लिए केंद्र ने शुक्रवार (11 अगस्त) को आईपीसी, आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने के लिए लोकसभा में तीन विधेयक पेश किए, जिनमें अन्य चीजों के अलावा, राजद्रोह कानून को निरस्त करने और अपराध की एक व्यापक परिभाषा के साथ एक नया प्रावधान पेश करने का प्रस्ताव है.


केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) विधेयक, 2023, सीआरपीसी की जगह लेने के लिए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) विधेयक, 2023, और भारतीय साक्ष्य (बीएस) विधेयक, 2023 पेश किया. भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023, इंडियन एविडेंस एक्ट (भारतीय साक्ष्य अधिनियम) की जगह लेगा.


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