दिल्ली में मुख्यमंत्री, केंद्र और उप-राज्यपाल की शक्तियों का सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने बंटवारा कर दिया है. सुप्रीम आदेश के बाद दिल्ली के कई आईएएस अधिकारियों पर गाज गिरने की अटकलें हैं. पहले बड़े अधिकारियों के अदला-बदली की बात कही जा रही है.


आदेश आने के बाद गुरुवार को केजरीवाल सरकार ने दिल्ली के सेवा सचिव आशीष मोरे को हटा दिया. हालांकि, गृह मंत्रालय से मोरे को हटाने की मंजूरी नहीं मिली है. केजरीवाल सरकार ने इसे सुप्रीम कोर्ट की अवमानना बताया है और अदालत में गुहार लगाई है.


सेवा विभाग का काम दिल्ली प्रशासन के अधिकारियों का ट्रांसफर, पोस्टिंग और नियंत्रण का है. एलजी और केजरीवाल सरकार के झगड़े में सेवा विभाग ही सबसे ज्यादा सुर्खियों में रही है. सेवा विभाग के अधीन करीब 14000 अधिकारियों/कर्मचारियों की तैनाती है.


दिल्ली सरकार के आरोप के मुताबिक केंद्र और एलजी को खुश करने के लिए सेवा विभाग मुख्यमंत्री की सिफारिश पर एक चपरासी तक ट्रांसफर नहीं करती है. मुख्यमंत्री केजरीवाल भी कई बार सेवा विभाग को निशाने पर ले चुके हैं.


सेवा विभाग ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट के फैसला आने के बाद केजरीवाल सरकार के निशाने पर कई और विभागों के प्रमुख हैं. खुद मुख्यमंत्री केजरीवाल ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कई विभाग के प्रमुखों पर बिना नाम लिए हमला किया. 


ऐसे में माना जा रहा है कि कई विभाग प्रमुखों पर आने वाले दिनों में बड़ी कार्रवाई हो सकती है. इस स्टोरी में दिल्ली में एलजी और मुख्यमंत्री के झगड़े में केजरीवाल सरकार से टकराने वाले इन्हीं विभाग और अधिकारियों के बारे में जानते हैं...


1. सूचना एवं प्रचार निदेशालय- दिल्ली के नए उप-राज्यपाल वीके सक्सेना और अरविंद केजरीवाल सरकार के बीच लड़ाई में सबसे अधिक चर्चा में दिल्ली सूचना एवं प्रचार निदेशालय (DIP) का एक नोटिस रहा. नोटिस में अरविंद केजरीवाल की पार्टी से डीआईपी ने अन्य राज्यों में दिए विज्ञापनों का पैसा देने के लिए कहा था.


डीआईपी का कहना था कि केजरीवाल सरकार ने नियम तोड़कर दिल्ली से बाहर विज्ञापन दिए हैं, जिसमें 163 करोड़ रुपए खर्च किया गया. डीआईपी ने इसकी भरपाई केजरीवाल की पार्टी आप से करने को कहा. केजरीवाल सरकार का कहना था कि दिल्ली के अलावा कई राज्य इस तरह के विज्ञापन देते हैं.


वर्तमान में डीआईपी के निदेशक आईएएस आरएन शर्मा हैं. शर्मा को सितंबर 2022 में डीआईपी की अतिरिक्त कमान मिली थी. शर्मा एजीयूएमटी काडर के 2010 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. शर्मा दिल्ली जल बोर्ड के डिप्टी डायरेक्टर भी रह चुके हैं.


सरकारी पैसों से विज्ञापन देने के मामले में केजरीवाल सरकार पहले भी सुर्खियों में रह चुकी है. इसलिए माना जा रहा है कि डीआईपी में किसी करीबी अधिकारी को तैनात किया जा सकता है. ऐसे में आरएन शर्मा और उनकी टीम पर गाज गिरने की आशंका है.


2. दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव- सुप्रीम कोर्ट से पावर मिलने के बाद केजरीवाल सरकार दिल्ली के मुख्य सचिव को भी बदल सकती है. मुख्य सचिव ही सभी अधिकारियों के प्रमुख होते हैं. अप्रैल 2022 में नरेश कुमार को दिल्ली का मुख्य सचिव बनाया गया था, जो अब तक पद पर हैं.


हाल ही में केजरीवाल सरकार ने आरोप लगाया था कि विभागों के सचिव बिना मंत्री को बताए एलजी आदेश पर काम कर रहे हैं. इस आरोप पर मुख्य सचिव नरेश कुमार ने तुरंत तत्कालीन डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के मातहत अधिकारियों को तलब कर लिया था. 


बजट में देरी होने पर भी केजरीवाल सरकार ने मुख्य सचिव को निशाने पर लिया था. वित्त मंत्री कैलाश गहलोत ने गृह विभाग में बजट फंसने पर मुख्य सचिव को जिम्मेदार ठहराया था.


ऐसे में अब माना जा रहा है कि दिल्ली सरकार जल्द ही मुख्य सचिव का तबादला कर सकती है. हालांकि, मुख्य सचिव चयन के लिए यूपीएससी से भी हरी झंडी सरकार को लेनी पड़ेगी. 


3. दिल्ली वित्त विभाग- अरविंद केजरीवाल सरकर की रडार सबसे ज्यादा दिल्ली का वित्त विभाग ही है. सुप्रीम कोर्ट से फैसला आने के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा था कि जो लोग गरीबों का पैसा रोक रहे थे, उन पर अब कार्रवाई होगी. 


आशीष चंद्र वर्मा वर्तमान में दिल्ली सरकार के वित्त सचिव हैं. वर्मा पर कई योजनाओं के पैसे अटकाने का आरोप लग चुका है. आप का कहना है वित्त विभाग की वजह से ही मोहल्ला क्लीनिक और डेली वेजेस कंस्ट्रक्शन वर्कर्स को सरकार की योजना का फायदा समय से नहीं मिल सका.


दिल्ली सरकार के 2023-24 बजट में विवाद के पीछे भी आप ने वित्त सचिव को जिम्मेदार ठहराया था. विधानसभा की कई समितियां वर्मा के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश कर चुकी है. हालांकि, शक्ति नहीं होने की वजह से वर्मा अब तक बचते रहे हैं.


सुप्रीम कोर्ट से फैसला आने के बाद वर्मा पर कार्रवाई की चर्चा सबसे तेज है. सियासी गलियारों में आशीष मोरे के बाद आशीष वर्मा का नंबर ही बताया जा रहा है.


4. विजिलेंस विभाग- सुप्रीम कोर्ट के नए आदेश के बाद अरविंद केजरीवाल सरकार के पास विजिलेंस विभाग आ गया है. मुख्यमंत्री केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि भ्रष्टाचार के मामले में विजिलेंस की जांच में तेजी आएगी. दिल्ली सरकार में काम करने वाले अधिकारियों और कर्माचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार मामले में विजिलेंस कार्रवाई करती है. 


पिछले साल दिल्ली विजिलेंस तब सुर्खियों में आई थी, जब उसने केजरीवाल सरकार के क्लासरूम घोटाले का खुलासा किया था. विजिलेंस की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि दिल्ली के 193 सरकारी स्कूलों में 2,405 क्लास रूम बनाने के दौरान 1300 करोड़ का भ्रष्टाचार हुआ है.


इसके बाद से ही केजरीवाल सरकार की रडार विजिलेंस के स्पेशल सेक्रेटरी हैं. वर्तमान में एजीएमयूटी 2012 बैच के आईएएस अधिकारी वाईवीवीजे राजशेखर स्पेशल सेक्रेटरी हैं. माना जा रहा है कि ट्रांसफर का एक्शन उनके ऊपर भी हो सकता है.


5. आबकारी विभाग- आबकारी विभाग की रिपोर्ट के आधार पर ही अरविंद केजरीवाल के सहयोगी मनीष सिसोदिया पर सीबीआई का शिकंजा कसा था. उप-राज्यपाल के कहने पर आबकारी विभाग ने एक रिपोर्ट तैयार की थी. केजरीवाल सरकार आबकारी घोटाले को झूठ का पुलिंदा बताती है.


आबकारी विभाग में वर्तमान में कृष्ण मोहन उप्पू निदेशक हैं. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उप्पू पर भी कार्रवाई की बात कही जा रही है.


मंत्रियों को मिलेगा पसंद का अधिकारी
अब तक केंद्र के पास शक्ति होने की वजह से दिल्ली सरकार के मंत्री अपने विभाग में पसंदीदा अधिकारियों को तैनात नहीं कर पाते थे. मंत्रियों का आरोप रहता था कि पसंदीदा अधिकारियों को तैनात नहीं कर पाने की वजह से बहुत धीरे-धीरे काम हो रहा है.


वीके सक्सेना के आने के बाद कई मंत्रियों ने आरोप लगाया था कि विभाग के सचिव उन्हें बिना बताए काम कर रहे हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि बड़े विभागों में जल्द ही फेरबदल हो सकती है.


दिल्ली में मुख्यमंत्री के अलावा कैबिनेट स्तर के 6 मंत्री हैं. शिक्षा, स्वास्थ्य वित्त, उर्जा, जल और परिवहन जैसे अहम विभाग के प्रमुखों को भी बदले जाने की अटकलें लगाई जा रही है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय में भी नए सिरे से अधिकारियों की तैनाती हो सकती है.


अरविंद केजरीवाल ने साफ किया है कि बड़े अधिकारियों के साथ ही छोटे स्तर के कर्मचारियों पर भी कार्रवाई होगी. माना जा रहा है कि जल्द ही लोअर लेवल के कर्मचारियों का भी भारी संख्या में तबादला हो सकता है.


दिल्ली में कैसे शुरू हुआ अधिकार और अधिकारियों पर जंग
2015 में पूर्ण बहुमत के साथ सरकार में आने के बाद अरविंद केजरीवाल ने उप राज्यपाल के खिलाफ जंग छेड़ दी. साल 2016 में तत्कालीन मुख्य सचिव अंशु कुमार ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री के आवास पर एक मीटिंग में विधायकों ने उनसे मारपीट की.


अंशु कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री अपने कामकाज के बारे में विज्ञापन देना चाहते थे. इधर, आप ने शक्ति को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की. 2018 में दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए उप-राज्यपाल के पक्ष में फैसला दिया.


आप सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. 2019 में जस्टिस अशोक भूषण ने हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया और उप-राज्यपाल को ही दिल्ली का बॉस बताया.


केजरीवाल सरकार ने इस फैसले को बड़ी बेंच में चुनौती दी. 2022 में केंद्र के कहने पर इस मामले को तत्कालीन चीफ जस्टिस ने संवैधानिक बेंच के पास भेज दिया. जनवरी 2023 में उपराज्यपाल वर्सेज मुख्यमंत्री मामले में रेग्युलर सुनवाई शुरू हुई.


सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने पूछा था कि अगर सब कुछ एलजी और केंद्र ही तय करेगा तो सरकार चुनने की जरूरत क्या है? 11 मई को 5 जजों की बेंच ने एकमत से अरविंद केजरीवाल के पक्ष में फैसला दिया.


हालांकि, कोर्ट ने कहा कि राजधानी होने की वजह से दिल्ली पुलिस, जमीन और पब्लिक ऑर्डर पर केंद्र फैसला ले सकेगा. दिल्ली विधानसभा को कानून बनाने का अधिकार भी सुप्रीम कोर्ट ने दे दिया. 


ट्रांसफर पोस्टिंग पर किसने क्या कहा?


अरविंद केजरीवाल, दिल्ली के मुख्यमंत्री- राजधानी में अब विकास के कामों में तेजी आएगी. हम उन अधिकारियों पर कार्रवाई करेंगे, जो जनता का काम रोक कर बैठे थे. मेहनती और ईमानदार अधिकारियों को आगे बढ़ाया जाएगा.


वीरेंद्र सचदेवा, दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष- हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं. केजरीवाल को वह मिल गया है जिसकी उन्हें उग्रता से तलाश थी. दिल्ली सरकार में बड़े पैमाने पर अधिकारियों के तबादले होंगे, जिसका मतलब है कि शहर में ट्रांसफर-पोस्टिंग का उद्योग स्थापित होगा.


अनिल चौधरी, दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष- सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली की जनता अब उम्मीद कर रही है कि अरविंद केजरीवाल अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला नहीं झाड़ेंगे. दिल्ली के विकास कार्यों को पूरा करने पर अपना ध्यान लगाएंगे.