Delhi News: दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि दिल्ली में बसों की संख्या काफी ज्यादा बढ़ गई है. प्रीमियम बसों (Premium Bus) को लाया जाएगा. इसके लिए एग्रीगेटर तैयार किए जाएंगे. इसमें डीलक्स बसें भी शामिल होंगी. इसमें सामान्य बसों की तुलना में बैठने की बेहतर सुविधा होगी. 


डीलक्स बसों में AC, कैमरा और वाई फाई, सी बेहतर सुविधाएं भी होंगी. डिजिटल टिकट होगी. खडे होकर ट्रैवल नहीं करने दिया जाएगा. बस में 9 सीट से ज्यादा होनी चाहिए. बसों का रूट तय नहीं होगा. रूट ऑपरेटर खुद तय करेगा, लेकिन रूट तय करने से पहले परिवहन विभाग को सूचित करेगा. देश की दिल्ली पहला ऐसा शहर होगा जो प्रीमियम बस एग्रीगेटर योजना शुरू करेगा.


उम्मीद है एलजी इस योजना को देंगी मंजूरी


दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रीमियम बस एग्रीगेटर योजना को मंजूरी देते हुए कहा कि अब इस योजना को उपराज्यपाल को भेजा गया है.  हालांकि, इस योजना को पहले ही उपराज्यपाल मंजूरी दे चुके हैं, लेकिन जिस योजना को उपराज्यपाल ने मंजूरी दी थी उस पर पब्लिक के कमेंट्स जोड़ने के बाद पहली वाली पॉलिसी में कुछ बदलाव किया गया है. उम्मीद है जल्द ही उपराज्यपाल इसको भी मंजूरी दे देंगे


क्या है प्रीमियम बस एग्रीगेटर स्कीम?


प्रीमियम बस सेवा योजना के तहत प्रीमियम लग्जरी बस के एग्रीगेटर को लाइसेंस दिया जाएगा. एक एग्रीगेटर को कम से कम 25 लग्जरी बस रखना होगा. सभी बसें एसी सुविधा वाली होंगी. सभी बसें 9 सीट्स से ज्यादा वाली होंगी. बस में स्टैंडिंग फॉर्म में सफर करने की इजाजत नहीं होगी. सीट्स डिजिटल मोड में मिलेंगी और पेमेंट भी डिजिटल मोड में ही होंगी. बसें जीपीएस और वाईफाई से युक्त होगी. तय समय से चलेगी और तय समय से पहुंचेगी. 


रूट और किराया मार्केट से होगा तय


CNG बस 3 साल से ज्यादा पुरानी नहीं होनी चाहिए. 1 जनवरी 2025 के बाद सिर्फ इलेक्ट्रिक बस ही इस योजना के तहत लगाई जा सकेगी. इलेक्ट्रिक बस के लिए लाइसेंस फीस नहीं लगेगी. ताकि इलेक्ट्रिक बस को राजधानी में बढ़ावा मिले. बस का रूट सरकार तय नहीं करेगी, बल्कि बाजार तय करेगा. सरकार को केवल सूचना देनी होगी. किराया भी मार्किट तय करेगा, लेकिन DTC से ज्यादा होगा ताकि DTC से कम्पटीशन नहीं हो.


पूर्व एलजी ने इस योजना को नहीं दी थी मंजूरी


बता दें कि दिल्ली के अरविंद केजरीवाल सरकार 2016 से ही इस योजना लाने की कोशिश में है, लेकिन 2016 में तत्कालीन उपराज्यपाल ने इसको मंजूरी नहीं दी थी. साथ ही बीजेपी ने इसमें बिना योजना लागू हुए भ्रष्टाचार के आरोप लगाए, लेकिन हमेशा की तरह कुछ नहीं निकला. साल 2017 में परिवहन विभाग ने कहा कि मोटर व्हीकल एक्ट के तहत इस तरह की योजना नहीं लाई जा सकतीए लेकिन 2019 में मोटर व्हीकल एक्ट में केंद्र सरकार द्वारा संशोधन के बाद ऐसी योजना लाने में कोई दिक्कत नहीं है.


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