Delhi Poltics: दिल्ली (Delhi) में आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार को 8 साल पूरे हो चुके हैं. इस दौरान आम आदमी पार्टी ने क्षेत्रीय पार्टी से लेकर राष्ट्रीय पार्टी तक का सफर तय कर लिया, जो कि अपने-आप मे एक बहुत बड़ी उपलब्धि है. बीजेपी (BJP),कांग्रेस (Congress) और तृणमूल कांग्रेस के बाद आप चौथे नंबर की पार्टी है जिसके देश में सबसे ज्यादा विधायक हैं. 


वहीं सीएम अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) भारतीय राजनीति का एक अहम चेहरा बन कर उभरे हैं. लेकिन बीते 8 सालों में आम आदमी पार्टी को कभी भी इतनी कठिन चुनौतियों का सामना नहीं करना पड़ा है, जितना कि इस पार्टी और मुख्यमंत्री केजरीवाल को अब करना पड़ रहा है.


आप  नेताओं पर लगातार लग रहे हैं भ्रष्टाचार में लिप्त होने का आरोप


वैसे तो आम आदमी पार्टी के खिलाफ बीजेपी और कांग्रेस लगातार ही आरोप लगाती रही है. आम आदमी पार्टी भी आए दिन इन पर निशाना साधती रहती है. लेकिन पिछले कुछ महीनों से आप के नेताओं पर लगातार भ्रष्टाचार में लिप्त होने का आरोप लगाया जा रहा है और सिर्फ बीजेपी ही नहीं कांग्रेस भी लगातार इन मुद्दों को उठाती आ रही है. यही वजह है कि जहां पिछले 9 महीनों से दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन तिहाड़ में बंद हैं और उन्हें बेल नहीं मिल पा रही है, तो वहीं अब डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को भी शराब घोटाले के आरोप में सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया है.


सुप्रीम कोर्ट ने दिया सिसोदिया को झटका


हालांकि सिसोदिया ने इस मामले की सुनवाई और बेल के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी डाली थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने ये कह कर सुनवाई करने से मना कर दिया  "मामला दिल्ली का है सिर्फ इसलिए आप सुप्रीम कोर्ट नहीं आ सकते हैं. निचली अदालत का मामला है, इसलिए आप हाई कोर्ट में अपील कीजिये." सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से ना सिर्फ सिसोदिया बल्कि मुख्यमंत्री केजरीवाल को भी झटका लगा. इसके बाद नाटकीय घटनाक्रम में सिसोदिया सहित सत्येंद्र जैन ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया. जबकि वो पिछले 9 महीनों से जेल में रह कर सारी राजसी सुविधाओं का लाभ ले रहे थे. हालांकि अभी तक उनके इस्तीफे को राष्ट्रपति की तरफ से मंजूरी नहीं मिली है, जैसे ही राष्ट्रपति से मंजूरी मिल जाएगी, उपराज्यपाल उसे स्वीकार कर लेंगे.


आधे दर्जन मंत्रियों को आरोपों के बाद देना पड़ा इस्तीफा


इन दोनों के इस्तीफे के बाद भी विपक्षी पार्टियां लगातार आप पर हमलावर हैं. वो अब सीएम केजरीवाल के भी इस्तीफे की मांग कर रही हैं. वैसे ये कोई पहला मौका नहीं है, जब सीएम केजरीवाल के मंत्रियों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा हो और उन्हें अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी हो. कभी आप के नेता रहे, बीजेपी के कपिल मिश्रा ने अपना एक वीडियो ट्वीट किया है. इसमें उन्होंने बताया की आप के 8 साल के शासन काल में उनके कई मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं. जिनमें से 6 को भ्रष्टाचार के आरोप में अपना इस्तीफा देना पड़ा. यहां तक कि एक कि तो विधायकी भी चली गई.


फर्जी डिग्री में गई तोमर की कुर्सी और विधायकी


उन्होंने कहा कि, सबसे पहला आरोप मंत्री जितेंद तोमर पर लगा. जिनकी डिग्रियां फर्जी पाई गई थी. लेकिन अपने आप को सच्चा और इमानदार बताने वाले सीएम केजरीवाल ने उन्हें भी बचाने की कोशीश की और कहा कि उन्होंने खुद उनकी डिग्रियां देखी हैं. जबकि जांच में तोमर की डिग्रियों के फर्जी होने का पता चला. जिससे केजरीवाल का झूठ तो पकड़ा गया. साथ ही तोमर की विधायकी भी चली गई और उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया.


सेक्स टेप सामने आने पर पार्टी से निकाले गए संदीप कुमार


उसके बाद नम्बर आता है, संदीप कुमार का. इनका आपत्तिजनक वीडियो सामने आने के बाद इन्हें ना सिर्फ अपना पद गंवाना पड़ा, बल्कि पार्टी को इन्हें निष्कासित तक करना पड़ गया. तीसरे मंत्री जिन्हें भ्रष्टाचार के आरोप में अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी थी. वो थे आसिम अहमद खान. जो रंगे हाथों रिश्वत लेते पकड़े गए थे. वहीं मंत्री राजेन्द्र पाल गौतम को हिंदू देवी-देवताओं का अपमान करने की वजह से इस्तीफा देना पड़ गया था. जबकि 9 महीनों से जेल में बंद मंत्री सत्येंद्र जैन पर मनी लॉन्ड्रिंग, सेल कंपनी और काला-धन जैसे भ्रष्टाचार के आरोप हैं. वो कई बार कोशिश कर चुके हैं, लेकिन आज तक उनकी बेल नहीं मिली. वहीं अब मनीष सिसोदिया को शराब घोटाला, सबूतों को नष्ट करने जैसे आरोपों में कोर्ट ने बेल देने से मना कर दिया. जिसके बाद उनको  और  सत्येंद्र  जैन ने एक साथ ही अपने पड़ से इस्तीफा दे दिया.


वीडियो में कपिल मिश्रा ने कहा कि देश मे कोई भी ऐसी भ्रष्ट सरकार नहीं आइ है, जिनके इतने मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हों और ऐसी सरकार के मुखिया केजरीवाल अब भी खुद को ईमानदार और सच्चा बताने का ढोंग कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अरंविद केजरीवाल में अगर थोड़ी भी नैतिकता है तो उन्हें तुरंत ही इस्तीफा दे देना चाहिए, नहीं तो जेल जाने के बाद तो देना ही पड़ेगा.


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