Why AAP Lost Delhi Election 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे साफ हो गए हैं और 27 साल बाद बीजेपी प्रचंड जीत के साथ सत्ता में वापस आ रही है. इसी के साथ अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी जिन नतीजों की उम्मीद लगाए बैठी थी, उसके उलट रिजल्ट आने से पार्टी नेताओं में निराशा छाई है. 8 सीटों पर काबिज बीजेपी इस बार 48 सीटों तक पहुंची गई, जबकि आम आदमी पार्टी 62 सीट से डायरेक्ट 22 पर लुढ़क गई.
इस बीच सवाल उठता है कि इतने ऐलान और योजनाओं की घोषणा के बाद भी दिल्ली की जनता आप को वापस लेकर क्यों नहीं आई? दरअसल, इसकी एक नहीं, कई वजह हैं.
1. एंटी इंकम्बेंसी10 साल तक सत्ता में रहने के बाद आम आदमी पार्टी को इस बार एंटी-इंकम्बेंसी का सामना करना पड़ा. शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भले ही पार्टी ने अच्छा रिजल्ट दिया हो लेकिन खराब एयर क्वॉलिटी और यमुना का प्रदूषित पानी नाराजगी की एक बड़ी वजह रही. दूसरी तरफ, अरविंद केजरीवाल लगातार दावे करते रहे कि बीजेपी की केंद्र सरकार दिल्ली के काम में रोड़े डाल रही है. अब जनता ने इसे असल वजह के बजाय 'बहाने' के तौर पर लिया.
2. 'शराब-शीशमहल' ने बिगाड़ी अरविंद केजरीवाल की इमेज?अरविंद केजरीवाल हमेशा से ही भ्रष्टाचार के विरोध में आवाज उठाते नजर आए, लेकिन इस बार उनकी इमेज पर कई चीजों की वजह से दाग लग गए. इनमें आबकारी नीति से जुड़ा कथित मनी लॉन्ड्रिंग केस भी एक वजह रही. बीजेपी ने आरोप लगाया था कि आप सरकार दिल्ली को 'शराबियों का शहर' बनाना चाहती है और ठेके देने के लिए सैकड़ों करोड़ खर्च करने को राजी है.
सेंट्रल एजेंसियों की जांच में आम आदमी पार्टी के कई नेताओं की गिरफ्तारी हुई. इनमें संजय सिंह, मनीष सिसोदिया, अरविंद केजरीवाल आदि शामिल रहे. गिरफ्तारी की वजह से मनीष सिसोदिया डिप्टी सीएम का पद छोड़ने को मजबूर हो गए और अरविंद केजरीवाल ने भी सीएम पद छोड़ दिया. यह भी ध्यान देने वाली बात है कि जेल जाने वाले आप उम्मीदवारों को इस बार के चुनाव में हार मिली है.
इसके अलावा, 'शीश महल' का विवाद भी खूब सुर्खियों में रहा, जिसने अरविंद केजरीवाल की इमेज पर डेंट किया. सीएजी रिपोर्ट में सामने आया था सीएम आवास बनाने में 7.91 से लेकर 33.66 करोड़ रुपये लगे थे.
3. रेवड़ियों की बौछार लेकिन असल विकास में कमी?आम आदमी पार्टी ने जनकल्याणकारी नीतियों के नाम पर दिल्ली में फ्री बिजली, फ्री पानी, महिलाओं के लिए फ्री बस सेवा आदि की शुरुआत की थी. हालांकि, जनता का दावा है कि इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट और उसके मेनटेनेंस के स्तर पर खासा बदलाव नहीं दिखा. सड़कों और सीवरों की खराब हालत से दिल्ली की जनता नाराज थी. दिल्ली का अपर और मिडिल क्लास खराब बुनियादी सुविधाओं से तंग दिख रहा था.
साल 2015 और 2020 में भले ही आप को इन रेवड़ियों के चलते बड़ी मात्रा में वोट मिले हों, लेकिन इस बार जनता ने अधूरे वादों पर भी ध्यान दिया. उदाहरण के तौर पर पाइप वॉटर कनेक्श का साल 2015 में किया गया वादा अभी तक पूरा नहीं हुआ था. साथ ही, दिल्ली को पूर्ण राज्य बनाने का भी पूरा नहीं हुआ. इसके अलावा, रोजगार बजट में भी 20 लाख नौकरियों का वादा किया गया था.
4. आप के बड़े नेताओं का बागी होना भी रही वजह?आम आदमी पार्टी के सीनियर नेताओं द्वारा पार्टी छोड़े जाने को भी इसके लिए बड़ा नुकसान माना जा रहा है. प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव, मयंक गांधी और कुमार विश्वास की अरविंद केजरीवाल से असहमति और उनके कथित 'मनमानी' वाले रवैये को लेकर भी नुकसान देखा जा सकता है. वहीं, कैलाश गहलोत जैसे बड़े नेताओं का मंत्री रहते हुए इस्तीफा देना भी पार्टी को नुकसान पहुंचाता दिखा.
5. MCD में आप की जीत, फायदा या नुकसान?साल 2022 में हुए एमसीडी चुनाव में आम आदमी पार्टी की एकतरफा जीत हुई थी. हालांकि, इस जीत ने आप को फायदे से ज्यादा नुकसान पहुंचाया. आप ने दिल्ली में वर्ल्ड-क्लास रोड और साफ शहर का वादा किया था, लेकिन दोनों ही वादों पर आप खरी नहीं उतरी. अरविंद केजरीवाल आरोप लगाते रहे कि बीजेपी उपराज्यपाल के जरिए दिल्ली में काम नहीं करने दे रही. हालांकि, इस बार मतदाताओं ने आम आदमी पार्टी के विधायकों से सीधा सवाल किया और उन्हें जिम्मेदार माना.
6. कांग्रेस का साथ छोड़ने का भी हुआ नुकसान?दिल्ली लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने गठबंधन किया था, लेकिन इसके तुरंत बाद उसी दिल्ली में आप और कांग्रेस आमने-सामने हो गए. माना जा रहा है कि जनता के सामने राजनीतिक दलों के बीच एकजुटता को लेकर गलत संदेश पहुंचा. दूसरी ओर, बीजेपी ने इसे साधते हुए दिल्ली चुनाव में ही नीतीश कुमार की जेडीयू और चिराग पासलवान लोजपा (रामविलास) को सीटें देकर जनता में एकजुटता का संदेश भेजा.
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