Faridabad News: फरीदाबाद के एक अस्पताल में एक सीवर टैंक की सफाई से दौरान चार सफाई कर्मचारियों की बुधवार को जहरीली गैस के संपर्क में आने से मौत हो गई. इसके अलावा दो अन्य लोग जो उन्हें बचाने के लिए टैंक के अंदर गए उनकी भी हालत स्थिर बनी हुई है. दोनों में से किसी के पास इस दौरान सुरक्षा के साधन नहीं थे. खबरों के मुताबिक अस्पताल के दो अधिकारी एक मेन्टेनेंस सुपरवाइजर नरेंद्र और एक अन्य कर्मचारी शाहिद दोनों सफाई कर्मचारियों को बचाने के लिए दौड़े लेकिन उस 12 फुट गहरे सीवर से निकलने वाली जहरीली गैसों के संपर्क में आने से उनकी हालत भी बिगड़ गई, जिसके बाद उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया. अस्पताल के अधिकारियों ने कहा कि फिलहाल दोनों आईसीयू में भर्ती हैं.


पुलिस ने दर्ज की FIR
इस पूरी घटना को लेकर पुलिस ने कहा कि संतोषी एलाइड सर्विसेज नाम की  एक प्राइवेट फर्म ने इन दोनों दैनिक वेतन भोगियों को  काम पर रखा था और दोनों बुधवार को करीब साढ़े बारह बजे सेक्टर 16 स्थित क्यूआरजी अस्पताल गए थे. पुलिस ने कहा कि सभी चार पीड़ित रोहित कुमार (23), उसका भाई रवि कुमार (24), विशाल (24) और रवि गोल्डर (25) दिल्ली के दक्षिणपुरी के रहने वाले थे. हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि दोनों में से कौन पहले टैंक में गया. पुलिस ने कहा कि अस्पताल और सफाई एजेंसी के खिलाफ सफाईकर्मियों में से एक के भाई ने आईपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या), हाथ से मैला ढोने वाले के रूप में रोजगार निषेध अधिनियम,  अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार की रोकथाम) के तहत प्राथमिकी दर्ज एफआईआर दर्ज कराई है.


घटना को लेकर वाल्मीकि समाज ने जताया विरोध प्रदर्शन
बुधवार शाम वाल्मीकि समुदाय के सदस्यों ने मजदूरों की मौत को लेकर फरीदाबाद में विरोध प्रदर्शन किया और आरोप लगाया कि उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है. प्रदर्शनकारियों में से एक, बाबा राम केवल ने कहा कि यह अस्पताल और एजेंसी की लापरवाही है. हमने पीड़ितों के परिवारों के लिए मुआवजे और नौकरी की मांग की है. जब इस विषय में अस्पताल और एजेंसी से बात की तो दोनों ने एक-दूसरे पर आरोप लगाने शुरू कर दिए.


कंपनी ने अस्पताल को ठहराया जिम्मेदार
दिल्ली स्थित संतोषी एलॉइड सर्विसेज के अधिकारियों ने घटना को लेकर कहा कि हमने अस्पताल से छोटे नालों को सफाई के लिए अनुबंध किया था ना कि सीवर टैंक की सफाई के लिए. वहीं अस्पताल ने एजेंसी के दावे को खारिज करते हुए कहा कि कंपनी के साथ हुए अनुबंध में सीवर की सफाई भी शामिल थी. क्यूआरजी अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. महिंदर सिंह तंवर ने कहा कि यह कंपनी की जिम्मेदारी है कि वह अपने कर्मचारियों को सुरक्षा संसाधन मुहैया कराए.  उन्होंने कहा कि हम इस मामले की जांच कर रहे हैं और सभी जरूरी कदम उठा रहे हैं. उन्होंने कहा कि हम जांच में पूरा सहयोग करेंगे.


पीड़ित के परिजनों ने लगाए ये आरोप
वहीं पीड़ितों के परिजनों ने कहा कि इस हादसे को लेकर अस्पताल और एजेंसी दोनों को को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए. वहीं शिकायतकर्ता विशाल के भाई गौरव ने आरोप लगाया कि मजदूरों को टैंक के अंदर घुसने के लिए सीढ़ी तक नहीं दी गई थी... वे रस्सी के सहारे टैंक में घुसे. उन्होंने कहा कि सिर्फ इसलिए कि हम वाल्मीकि समुदाय से हैं अधिकारियों को लगता है कि मेरे भाई जैसे लोग इस तरह का गंदा काम कर लेंगे. वहीं विशाल के चचेरे भाई  ने कहा कि  क्या गरीबों का जीवन इतना अयोग्य है कि उन्हें ऐसी मौत मिलनी चाहिए?


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