छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के पल्ले-बारसूर मार्ग पर एक आईईडी धमाका हुआ. इस धमाके में दो सीआरपीएफ जवान घायल हो गए. जानकारी के मुताबिक, एक डॉग हैंडलर गंभीर रूप से घायल हुआ है, जबकि एक निरीक्षक को मामूली चोटें आई हैं. घायल जवानों को तुरंत नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है. आईजी बस्तर पी. सुंदरराज ने बताया कि सुरक्षा बलों की सतर्कता के बावजूद नक्सलियों द्वारा इस तरह के हमले लगातार किए जा रहे हैं.
नारायणपुर में 16 नक्सली आत्मसमर्पण
वहीं, छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में गुरुवार को 16 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया. ये नक्सली बुधवार शाम को वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण करने पहुंचे.
नारायणपुर के पुलिस अधीक्षक रॉबिनसन गुरिया ने बताया कि इन नक्सलियों ने माओवादी विचारधारा की खोखली सच्चाई और निर्दोष आदिवासियों पर हो रहे अत्याचारों के कारण आत्मसमर्पण किया.
आत्मसमर्पण करने वाले सभी 16 नक्सली निचले स्तर के कैडर थे, जो जनताना सरकार, चेतना नाट्य मंडली और माओवादी पंचायत मिलिशिया जैसी अलग-अलग इकाइयों से जुड़े थे. हालांकि उनकी स्थिति माओवादी संगठन में निचली थी, लेकिन ये लोग विद्रोह को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे.
ये राशन, दवाइयां और अन्य जरूरी चीजें सशस्त्र माओवादी दलों को बिना किसी भुगतान के मुहैया कराते थे. इसके अलावा हथियार और विस्फोटक ढोना, आईईडी लगाना और सुरक्षा बलों की गतिविधियों पर खुफिया जानकारी जुटाना भी इनके काम का हिस्सा था.
माओवादी शीर्ष नेताओं को असली दुश्मन बताया
पूछताछ के दौरान नक्सलियों ने पुलिस को बताया कि असली दुश्मन माओवादी संगठन के शीर्ष नेता हैं. ये स्थानीय लोगों को पानी, जंगल और जमीन की रक्षा, समानता और न्याय के झूठे वादों से गुमराह करते हैं और अंत में उनका शोषण कर देते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि महिला नक्सलियों की स्थिति और भी खराब है और कई निचले स्तर के कैडरों को व्यक्तिगत गुलाम की तरह रखा जाता है.
सभी 16 नक्सलियों को आत्मसमर्पण के बाद 50,000 रुपये की सहायता राशि दी गई है. राज्य सरकार की नीति के तहत इन नक्सलियों को आगे पुनर्वासित किया जाएगा. केंद्रीय सरकार ने भी आश्वासन दिया है कि नक्सलवाद को देश से पूरी तरह खत्म किया जाएगा.
सुरक्षा बल हुए सतर्कता
सुरक्षा बल लगातार नक्सलियों पर नजर बनाए हुए हैं. नक्सलियों के आत्मसमर्पण और सुरक्षा बलों के सतर्क प्रयासों से यह संकेत मिलता है कि नक्सलवाद के खिलाफ प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं. वहीं, आईईडी जैसे हमलों से सुरक्षा बलों की चुनौती भी लगातार बनी हुई है.