Korba News: कोरबा जिले के बालको थाना क्षेत्र में 8 माह की गर्भवती महिला की सांप काटने से मौत हो गई है. अपने कमरे में खाट पर सो रही गर्भवती महिला को जहरीले सर्प ने डस लिया, जिसके बाद संजीवनी कर्मियों को सुदूर वनांचल गांव तक पहुंचने में घंटों लग गए. जब तक वे सर्पदंश पीड़िता को लेकर अस्पताल पहुंचते, बहुत देर हो चुकी थी. मेडिकल कॉलेज अस्पताल के डॉक्टरों ने परीक्षण उपरांत महिला को मृत घोषित कर दिया.

Continues below advertisement

दरअसल, प्रतिदिन की तरह सोमवार की रात श्याम और उसके परिजन अपने-अपने कमरे में सोए हुए थे. उसकी पत्नी भी खाट पर सोई थी. इसी दौरान रात करीब एक बजे गर्भवती महिला को पैर में किसी जंतु के काटने का एहसास हुआ. उसके मुंह से दर्द के कारण चीख निकल गई. उसने उठकर देखा तो करैत प्रजाति का सर्प खाट के समीप रेंग रहा था. जिसकी जानकारी चीख सुनकर पहुंचे परिजनों को सुमन ने दी. सर्पदंश की जानकारी होते ही परिजन महिला की जान बचाने हर संभव प्रयास करने लगे. 

अस्पताल ले जाने में देरी हुई तो गई जानउन्होंने महिला को अस्पताल ले जाने 108 डायल कर संजीवनी एक्सप्रेस को भी सूचना दी, लेकिन बीहड़ वनांचल क्षेत्र होने के कारण संजीवनी कर्मियों को गांव तक पहुंचने घंटों लग गए. संजीवनी कर्मी तड़के करीब 4:30 बजे पीड़िता को लेकर गांव से रवाना हुए. वे सुबह करीब 6:30 बजे मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचे, तब तक देर हो चुकी थी. मेडिकल कॉलेज अस्पताल के डॉक्टरों ने परीक्षण उपरांत गर्भवती महिला को मृत घोषित कर दिया. अस्पताली मेमों मिलने पर पुलिस ने वैधानिक कार्रवाई उपरांत शव को परिजनों के सुपुर्द कर दिया है. अस्पताल चौकी प्रभारी रविन्द्र कुमार जनार्दन ने बताया कि गर्भवती महिला के सर्पदंश से मौत का मेमो प्राप्त हुआ है. मृतिका को मंगलवार की सुबह वनांचल ग्राम से लाया गया था. मामले में वैधानिक कार्रवाई की गई है.

Continues below advertisement

तीन माह में 112 सर्पदंश पीड़ित हुए दाखिल कोरबा जिले में रेंगती मौत का खतरा बढ़ गया है. शहरी, उप नगरीय व ग्रामीण अंचल में आए दिन लोग सर्पदंश के शिकार हो रहे हैं. यदि मेडिकल कॉलेज अस्पताल में जून से अब तक बीते 69 दिनों की बात करें तो सर्प के डसने से गंभीर 112 मरीजों को इलाज के लिए दाखिल कराया गया. जिसमें बेहतर इलाज के दम पर 106 मरीजों की जान बचा ली गई. जबकि 6 मरीजों ने इलाज के दौरान अथवा अस्पताल पहुंचने से पहले दम तोड़ दिया.

सुविधा व संसाधन आ रही आड़ेस्वास्थ्य विभाग के आला अफसर आम लोगों को बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने हर संभव प्रयास कर रहे हैं, लेकिन सुविधा व संसाधन उपचार व्यवस्था में आड़े आ रही है. खासकर वनांचल गांव में स्थित अस्पतालों में बिजली सहित जरूरी उपकरण की कमी बनी हुई है. जिससे चाह कर भी मरीज को तत्काल उपचार मुहैया करा पाना संभव नहीं होता. ऐसे में ग्रामीणों को मजबूरन इलाज के लिए जड़ी बूटी या फिर झाड़ फूंक का सहारा लेना पड़ता है.

ये भी पढ़ें:  World Tribal Day 2023: चुनाव से पहले CM बघेल का आदिवासी समाज को साधने का प्रयास, 'विश्व आदिवासी दिवस' पर दी बड़ी सौगात