Raigarh News: गोबर खरीदी को लेकर गोठान समितियों में असमंजस की स्थिति है. यहां काम करने वाली महिला समूहों की परेशानी भी बढ़ गई है. महिला समूह की महिलाएं वहां कई तरह की गतिविधियां संचालित कर रही थी. ऐसे में इनके जीविकोपार्जन का ये एक अच्छा माध्यम भी था, लेकिन इससे जुड़ी महिलाओं की आगे की जीविकोपार्जन कैसे चलेगी, इसको लेकर ऊहापोह की स्थिति बनी है. हालात यह है कि गोठान समिति और वहां काम करने वाली महिला समूहों को समझ नहीं आ रहा है कि आगे क्या होगा?


रायगढ़ जिले में 376 गोठान संचालित किये जा रहे हैं. इसमें 373 सक्रिय हैं. इन गोठानों में आचार संहिता के पहले यानी 9 अक्टूबर तक गोबर खरीदी की गई है. इसमें जहां 365 गांवों में संचालित हो रहे हैं, वहीं 11 गोठान निकायों में चल रहा था. इसमें सबसे अधिक 5 गोठान रायगढ़ नगर निगम एरिया में शामिल है. बाकी निकायों में एक-एक गोठान का संचालन हो रहा था. निकायों में 1146 विक्रेता पंजीकृत हैं, लेकिन 515 लोग सक्रिय रुप से गोबर बिक्री कर रहे थे. इसी तरह सात ब्लॉकों में 25 हजार 84 गोबर विक्रेताओं का पंजीयन है, लेकिन सक्रिय तौर पर 20 हजार 690 लोग बिक्री कर रहे थे. आधार संहिता लगने के बाद गोबर खरीदी बंद हो गई है. हालांकि इसके पहले भी कुछ गोठानों में तो काफी मात्रा में खरीदी हो रही थी, लेकिन कुछ में 15-20 केजी ही खरीदी हो रही थी.


गोबर की कितनी खरीदी हुई?
बीते 20 जुलाई 2020 को गोधन न्याय योजना के तहत गोबर खरीदी की शुरुआत की गई थी. इसके बाद गोठान तैयार किया गया, जिसके माध्यम से गोबर खरीदी की जा रही थी. 20 जुलाई 2020 से 8 अक्टूबर 2023 तक 7 लाख 85 हजार 569 क्विंटल गोबर खरीदी की गई है. इसका भुगतान सभी विक्रेताओं के खाते में जमा किया जा रहा था. इसके अलावा यहां गोबर खरीदी करने वाले गोठान समिति को भी मानदेय दिया जा रहा था. बताया गया कि आचार संहिता के पहले भी कई समितियों का भुगतान बाकी था. अभी यह भुगतान होगा या नहीं इसकी कोई गारंटी नहीं है.


एक गोठान में तीन से चार समूह
हर गोठान में जैविक खाद के साथ अन्य गतिविधियों का संचालन किया जा रहा था. रायगढ़ ब्लॉक के बनोरा गोठान में गौमूत्र की खरीदी भी की जा रही थी. जिससे जैविक कीटनाशक तैयार किया जा रहा था. इसकी डिमांड काफी मात्रा में हो रही थी. महिला समूह की महिलाओं का कहना था कि वह डिमांड के हिसाब से जैविक कीटनाशक तैयार नहीं कर पा रहे हैं. इसी तरह वहां दो से तीन महिला समूहों द्वारा केंचुआ खाद तैयार किया जा रहा था. कुछ समूह के लोग मछली पालन, साग-सब्जी उत्पादन जैसे आय मूलक गतिविधियों से जुड़े थे. अब इनको जीविकोपार्जन की चिंता सताने लगी है. इसके अलावा गोठान समिति में भी 20-25 लोग जुड़े थे.


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