Koriya News: प्रकृति की गोद में स्थित कोरिया जिला प्राकृतिक दृश्यों से परिपूर्ण है. यहां कई दर्शनीय स्थल के साथ ऐतिहासिक महत्व के जगहें भी मौजूद है. जरूरत बस ऐसे स्थलों को विकसित करने और सुविधाएं बढ़ाने की है, जिससे कि पर्यटन स्थल के रुप में पहचान मिल सके. जिले में स्थित पर्यटन केंद्रों में से कई जगह ऐसे है जहां तक पहुंचने के लिए बुनियादी सुविधाएं विकसित नहीं हुई हैं. जिले के कई पर्यटन और ऐतिहासिक महत्व का स्थल तक पहुंचने के लिए सड़क मार्ग ही नहीं है. ऐसे में ऐतिहासिक महत्व के स्थलों तक लोग पहुंच नहीं पाते हैं. बहुत कम लोग हैं जो जोखिम उठाकर ऐसे स्थलों पर पहुंच रहे हैं.


कोरिया जिले में स्थित कई पर्यटन स्थल गुमनामी में पहुंच चुके हैं. जिले में स्थित पर्यटन केंद्रों और ऐतिहासिक महत्व जगहों को विकसित करने की जरुरत है, जिससे यहां के ऐतिहासिक और प्राकृतिक जगहों पर अधिक से अधिक लोग पहुंच सके. कोरिया जिले में वैसे तो प्राकृतिक महत्व के स्थलों की कमी नहीं है, जरुरत है तो इन जगहों पर बुनियादी सुविधाओं के विकास की. इस वजह से ऐसे स्थल गुमनामी के दौर से गुजर रहे हैं. कोरिया जिले में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए योजनाबद्ध तरीके से कार्य करने की जरूरत है.


कोरिया में है कई ऐतिहासिक गुफाएं
गौरतलब है कि कोरिया जिले से होकर राम वन गमन पथ गुजरता है. इस जिल में कई धार्मिक महत्व के मुताबिक भी ऐतिहासिक महत्व के स्थल हैं. जिसका विकास पर्यटन केंद्र के रूप में किया जा सकता है. इसके अलावा कई प्राकृतिक जगहों को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जा सकता है, जो अभी तक उपेक्षाओं का शिकार हैं. कोरिया जिला के विभाजन के बाद प्रमुख पर्यटन केंद्र अमृतधारा जल प्रपात एमसीबी जिले के हिस्से में चला गया है. प्रशासन को कोरिया के पर्यटन स्थलों के खोज कर विस्तार देने और पर्यटन केंद्र के रुप में विकसित करने के लिए विशेष काम करना चाहिए. 


इससे यहां पर रोजगार के साथ के स्थानीय संस्कृति और रहन सहन को बढ़ावा मिल सकेगा और आम लोगों की दैनिक जीवन में सुधार होगा. जिसमें प्रमुख रूप से बैकुण्ठपुर-सोनहत मार्ग पर कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर समुंदई क्षेत्र है. जहां ऐतिहासिक महत्व का गुफाएं स्थित है. इसके अलावा पास में ही जंगलों के बीच उसी स्थल पर जल प्रपात है. यहां से प्राकृति का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है, लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए सड़क सुविधा नहीं होने के कारण लोगों की पहुंच से दूर है.


कुछ ही लोग जाते पहुंचते हैं सीता गुफा
कोरिया जिला मुख्यालय से कुछ ही किमी की दूरी पर पर ऐतिहासिक महत्व का स्थल जंगलों के बीच समुंदई है, जहां सीतागुफा स्थित है. यही कारण है कि जहां वर्तमान में कई दर्शनीय स्थलों पर सैलानियो की भीड़ प्रतिदिन जुट रही है. वहीं इस ऐतिहासिक महत्व के स्थल पर कभी कभार चंद लोग ही पहुंच रहे है. इसकी मुख्य वजह भी यहां तक पहुंचने के लिए कोई मार्ग का नहीं होना है. जानकारी के अनुसार बैकुण्ठपुर से सोनहत मार्ग पर ग्राम नौगई पहाड़पारा के जंगलों के बीच स्थित समुंदई स्थल तक पहुंचा जा सकता है, लेकिन कोई बाईक से जाना चाहता है तो जंगल के बीच कठिनाईयों से पहुंचता है. जानकारी के अनुसार जंगलों के बीच स्थित समुंदई क्षेत्र में ऐतिहासिक महत्व की गुफा स्थित है. इस स्थल पर एक प्राकृतिक जलप्रपात भी जिसका नजारा जंगलों के बीच देखते ही बनता है.


चट्टान को तराशकर बनाई गुफा
जंगल के बीचे पहाड़ पर स्थित समुंदई स्थल पर विशाल पत्थर को तराशकर गुफा बनाई गई है. जिसमें दो कमरे हैं, जहां पर विभिन्न धार्मिक अवसरों पर ग्रामीण क्षेत्र के लोग पहुंचकर पूजा अर्चना करते है. क्षेत्र के लोगों के बीच मान्यता है कि समुंदई क्षेत्र में चट्टान को तराशकर जो गुफा बनाई गई है, वह रामायण कालीन है. लोगों की माने तो वनवास के दौरान भगवान श्री राम, माता सीता इस क्षेत्र में रहे हैं और जो चट्टान पर गुफा बनाई गई है उसमें भी उनका निवास रहा है. इसी वजह से इस गुफा को सीतागुफा के नाम से जाना जाता है. इसी मान्यता को लेकर विभिन्न धार्मिक अवसरों पर आस पास के ग्रामीण क्षेत्रों के लोग यहां पूजा अर्चना करने पहुंचते हैं.


गुमनाम हैं ये ऐतिहासिक जगहें
सरकार ने राम वन गमन पथ को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की योजना तैयार कर रही है, ऐसे में कोरिया जिले में स्थित समुंदई स्थल को भी पयर्टन केंद्र के रूप में विकसित करने की जरूरत है. जिससे कि रामायण कालीन ऐतिहासिक महत्व के स्थलों की पहचान देश विदेश में हो सके. अभी यहां तक पहुंचने के लिए सुगम मार्ग नहीं होने के कारण ज्यादातर लोगों की पहुंच से दूर है. यदि समुंदाई स्थल तक पहुंचने के लिए सड़क सुविधा दी जाती है, तो निश्चित रूप से जिले के प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में यह स्थल बन सकता है. जहां पर सीतागुफा के साथ प्राकृतिक जल प्रपात भी मौजूद है. 


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