Korba News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में आम लोगों को राहत देने के लिए हाट बाजार क्लिनिक वाहन सेवा शुरू की गई है. इसके माध्यम से हाट बाजारों में पहुंच लोगों का इलाज किया जा रहा है. इस सेवा का इस्तेमाल किस तरह किया जा रहा, इसकी बानगी उस समय देखने को मिली, जब कोरबा में एक ग्रामीण ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. उसके शव को हाट बाजार क्लिनिक वाहन में पोस्टमार्टम के लिए लाया गया. इस वाहन से ही परिजन शव को लेकर घर लौटे. हालांकि विभाग का दावा है कि उक्त वाहन को सेवा से मुक्त रखा गया है.


दरअसल, कोरबा के बालको थानांतर्गत ग्राम भटगांव में रामकुमार राठिया उर्फ महादेव (43 वर्ष) निवास करता था. उसके तीन भाई रोजी रोटी के लिए बाहर गए हुए हैं, जबकि घर में छोटे भाई आनंद सिंह के साथ रामकुमार और उसका परिवार रह रहा है. रामकुमार आए दिन शराब का सेवन करता था. वह नशे का इस कदर आदी हो चुका था कि नशा बंद करने पर मानसिक रूप से तनाव में आ जाता था. बताया जा रहा है कि बुधवार की देर रात पड़ोस में रहने वाली गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा शुरू हो गई. उसे लेकर रात करीब एक बजे परिजनों के साथ आनंद सिंह भी अस्पताल चला गया. घर में रामकुमार अकेला था. जब आनंद सिंह अस्पताल से घर लौटा तो रामकुमार बिस्तर से गायब मिला. 


फांसी के फंदे पर लटकी मिली रामकुमार की लाश
इसके बाद गुरुवार की सुबह घर की बाड़ी में स्थित कुसुम पेड़ पर रामकुमार की लाश फांसी के फंदे पर लटकी मिली. सूचना मिलने पर बालको पुलिस घटना स्थल पहुंची. पुलिस ने वैधानिक कार्रवाई उपरांत शव को पोस्टमार्टम के लिए मेडिकल कालेज अस्पताल ले जाने की बात कही. पुलिस के पूछे जाने पर परिजनों ने मर्च्युरी शव ले जाने के लिए बालको से बोलेरो वाहन किराए पर करने की जानकारी दी. जब परिजन शव को लेकर मर्च्युरी पहुंचे तो बोलेरो में एंबुलेंस के अलावा हॉट बाजार क्लिनिक वाहन लिखा था. वाहन के ऊपर में सरकारी गाड़ी में लगने वाला सायरन लगा था. जिसे देखकर साफ तौर से हाट बाजार क्लिनिक वाहन के रूप में पहचाना जा सकता था. 


हॉट बाजार क्लिनिक वाहन में शव लाने ले जाने की अनुमति नहीं
नियमानुसार इस वाहन में विभाग द्वारा तैनात कर्मचारी हाट बाजार पहुंचकर लोगों की जांच और इलाज करते हैं. हॉट बाजार क्लिनिक वाहन में शव लाने ले जाने की अनुमति नहीं है. इस संबंध में जानकारी एकत्रित करने का प्रयास किया तो पता चला कि उक्त बोलेरो वाहन किसी राजू खान का है, जिसने किराए में शव लाने ले जाने के लिए उपलब्ध कराया था. इधर स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि उक्त बोलेरो वाहन को सेवा मुक्त कर दिया गया है. बहरहाल, हॉट बाजार क्लिनिक वाहन में शव लाने की घटना को लेकर चर्चा गर्म है. स्वास्थ्य विभाग ने हाट बाजार क्लिनिक के अलावा अन्य कार्यों के लिए निजी वाहन को अनुबंधित किया गया है.  इन वाहनों में विभाग के मोनो सहित अन्य उपकरणों का इस्तेमाल किया गया है.


आखिरकार मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी किसकी
वहीं यदि विभाग की माने तो उक्त वाहन को सेवामुक्त किया गया है. अब सवाल यह उठता है कि वाहन में लगे मोनो और उपकरणों का बेजा इस्तेमाल न हो इसकी मॉनिटरिंग की जवाबदारी किसकी है. शासन ने स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से हाट बाजार क्लिनिक योजना शुरू की है.  इस योजना का मूल उद्देश्य शहरी, उपनगरीय और ग्रामीण इलाके में लोगों को स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराना है. लोग हाट बाजार में अपनी जांच करा दवाई हासिल कर सकते हैं. स्वास्थ्य विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी अशरफ अंसारी की माने तो जिले में 12 हाट बाजार क्लिनिक वाहन परिचालित हैं.


हालांकि गिनती के वाहन ही बाजारों में नजर आते हैं. वहीं इस संबंध में कोरबा ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर डॉ. दीपक राज ने कहा कि जिस गाड़ी में शव लाया गया था, वह गाड़ी अभी हाट बाजार क्लिनिक में नहीं चल रही. वाहन का उपयोग किस तरह किया जा रहा इसके लिए मालिक जिम्मेदार है.


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