Janjgir Champa Board Result 2024: छत्तीसगढ़ में 10वीं-12वीं बोर्ड परीक्षा का रिजल्ट जारी होते ही जांजगीर-चांपा जिले के शिक्षा विभाग की कलई खुल गई. कक्षा 12वीं का रिजल्ट तो प्रदेश के 33 जिले में सबसे आखिरी में रहा तो वहीं कक्षा 10वीं में जिले का स्थान एक ऊपर 32वां रहा. 


वहीं नए बने और अत्यंत पिछड़े क्षेत्र कहे जाने वाले जिले पहले से पांचवें स्थान पर रहे, जिसके चलते जिले में विभाग के अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठने लगा है. जांजगीर-चांपा जिले में पदस्थ रहे पिछले डीईओ लगातार विवादों में रहे, जिससे शिक्षकों पर दबाव बना रहा और इसका असर परीक्षा रिजल्ट में देखने मिला. कभी नकल के लिए कुख्यात रहे जिले में प्रशासनिक कसावट के कारण विगत कुछ वर्षों से यह कलंक तो हटा, लेकिन रिजल्ट गिरते चला गया.


जिले का स्थान रहा 32वां 
इस साल के बोर्ड परीक्षा का रिजल्ट तो पूरी तरह से सोचनीय हो गया है. इस साल कक्षा 12वीं में जिले का रिजल्ट केवल 63.28 फीसदी रहा और इस रिजल्ट के चलते जिले का प्रदेश में सबसे आखिरी स्थान 33वां नंबर रहा. इससे एक पायदान ऊपर होकर कक्षा 10वीं के रिजल्ट की लिस्ट में जिले का स्थान 32वां रहा. बोर्ड द्वारा जारी किए गए जिलों की वरीयता लिस्ट को देखने पर स्पष्ट होता है कि अत्यंत पिछड़े कहे वाले जिलों का प्रदर्शन बेहतर रहा है. वरीयता लिस्ट में दोनों ही बोर्ड कक्षाओं में पहले स्थान पर रहे जशपुर से तुलना करने पर जो आंकड़ा सामने आता है वह बड़ा ही चौंकाने वाला है.


जशपुर के मुकाबले जांजगीर-चांपा जिले का रिजल्ट कक्षा 12वीं में 33 फीसदी कम रहा तो कक्षा 10वीं में यह आंकड़ा और भी बढ़कर 35 फीसदी जा पहुंचा. हाल ही में विभाजित होकर बना नया जिला सक्ती भी इस मामले में जांजगीर-चांपा से आगे निकल गया.


विवादों में रहा है पूर्व डीईओ का कार्यकाल
जांजगीर-चांपा जिले में पदस्थ जिला शिक्षा अधिकारियों का कार्यकाल लगातार विवादों में रहा है. वर्तमान में पदस्थ डीईओ को पदभार ग्रहण किए कुछ ही माह हुए हैं, लेकिन इस साल शैक्षणिक अवधि के दौरान पूर्व डीईओ का कार्यकाल पूरी तरह से विवादों में रहा है. विभिन्न कारणों से शिक्षकों को परेशान करना उनका मुख्य शगल रहा है और डीईओ कार्यालय के कर्मचारियों से भी उनका संबंध खराब रहा है. कर्मचारियों के साथ शिक्षक भी पिछले अधिकारी के कार्यकाल में पूरी तरह से दबाव में रहे हैं, जो रिजल्ट में परिलक्षित हो रहा है. इसके पहले भी अन्य गतिविधियों में शिक्षकों का समय खराब करने का आरोप लगा.


दोनों बोर्ड में मेरिट में केवल 1 विद्यार्थी
इस साल मेरिट लिस्ट में जांजगीर-चांपा जिले का नाम खोजना पड़ गया. कक्षा 10वीं में अकलतरा सेजेस की जागृति प्रजापति ने जिले की लाज बचा ली, नहीं तो कक्षा 12वीं की वरीयता लिस्ट से जिले का नाम तो पूरी तरह से गायब ही हो गया है.


जवाबदेही किसकी, किसके सिर फूटेगा ठीकरा, प्रयोगों की भेंट चढ़े शिक्षक व विद्यार्थी
पिछले साल खराब रिजल्ट वाले स्कूलों को रेड, उससे बेहतर को यलो और अच्छे रिजल्ट वाले स्कूलों को ग्रीन पट्टी में रखा गया था. पीएलसी बनाकर गुणवत्ता सुधार के लिए जतन किये गये थे. प्रश्न बैंक बनाये गये थे परंतु इन सब का सकारात्मक रिजल्ट नहीं दिखा.


देखा जाये तो सत्र भर कई गैर शिक्षकीय शासकीय कार्यों में शिक्षकों को उलझा कर रखा जाता है. नवाचार के नाम पर इतने ज्यादा प्रयोग विद्यार्थियों व शिक्षकों पर हो रहे हैं कि दिशा भटक गई है. शिक्षा के नाम पर अच्छा होने पर वाहवाही लूटने वाले अधिकारी खराब रिजल्टों का ठीकरा शिक्षकों के सिर फोड़ते आये हैं. यक्ष प्रश्न यही है कि क्या इसके लिए केवल शिक्षक ही जिम्मेदार है?


जांजगीर-चांपा डीईओ अश्वनी कुमार भारद्वाज ने कहा कि कलेक्टर के मार्गदर्शन में उत्कृष्ट जांजगीर योजना सत्र के पहले दिन से चलाया जाएगा. अगले सत्र में निश्चित ही रिजल्ट बेहतर होगा. इस वर्ष अपेक्षानुरूप रिजल्ट नहीं आया, बीईओ व प्राचार्यो को गुणवत्ता व पाठ्यक्रम के लिए नियमित निरीक्षण करना चाहिए था. इसे अगली बार सुधारा जायेगा.


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