Bastar News: प्रदेश के पांचवीं अनुसूची लागू वाले क्षेत्रों में राज्य सरकार द्वारा पेसा कानून (PESA ACT) को लेकर बनाए गए नियमों पर बस्तर (Bastar) में सर्व आदिवासी समाज (Tribal Society) और कांग्रेस (Congress) के पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री और बस्तर के वरिष्ठ आदिवासी नेता अरविंद नेताम (Arvind Netam) ने ऐतराज जताया है. उन्होंने कहा कि ये नियम पेसा कानून को कमजोर करने के लिए बनाए गए हैं. सरकार द्वारा बनाए गए नियमों ने पेसा एक्ट की आत्मा को ही खत्म कर दिया है. नेताम ने कहा कि इन नियमों को लेकर वे जल्द ही मुख्यमंत्री से मुलाकात कर इस पर पुनः  विचार करने को कहेंगे.


नियमों में बदलाव को लेकर मुख्यमंत्री से करेंगे मुलाकात
 दरअसल  बस्तर के आदिवासी नेताओं का कहना है कि सन 1996 में संविधान की पांचवीं अनुसूची के क्षेत्रों में स्वशासन की स्थापना के लिए पेसा कानून पारित किया गया था. देश में ऐसे कुल 10 राज्य हैं जो पूर्ण या आंशिक रूप से इस कानून के अंतर्गत आते हैं, इन राज्यों में से पांच ने पहले ही पेसा कानून को लागू करने की नियमावली बना ली थी. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में भूपेश सरकार  ने पेसा कानून को लागू कराने के लिए नियमों को जरूर बना लिया है, लेकिन इस कानून की मूल भावना के साथ बनाए गए नियम इंसाफ नहीं कर रहे हैं.


नए नियमों को लेकर आदिवासी समाज नाराज


उनका कहना है कि ग्राम सभा की संवैधानिक शक्तियों को जिला प्रशासन के सामने बौना बना दिया गया है, या यूं कहें कि इसकी वेल्यू घटा दी गयी है. किसी भी क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण से पहले ग्राम सभाओं की सहमति के प्रावधान को केवल परामर्श तक सीमित किया गया है, जो ठीक नहीं है. इसको लेकर सर्व आदिवासी समाज को एतराज है और इस मामले को आदिवासी समाज गंभीरता से ले रहा है. नेताम ने आगे कहा कि बस्तर के अन्य आदिवासी समाज के लोगों से भी इसको लेकर चर्चा की जा रही है, अरविंद नेताम ने कहा कि पेसा कानून की नियमावली पर सरकार को दोबारा विचार कर संशोधन करने को कहा जाएगा. इसके लिये जल्द ही बस्तर के आदिवासी समाज के प्रमुख इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री से मुलाकात करेंगे.


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