Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिले में खेती और जंगल से मिलने वाली उपज को लंबे समय तक सुरक्षित रखने और किसानों को उनकी मेहनत की पूरी कीमत दिलाने के लिए एक बड़ी शुरुआत की जा रही है. जिले के पातररास गांव में केन्द्र सरकार और छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से पहली बार एक ऐसा आधुनिक केंद्र बनाया जा रहा है, जहां कोल्ड स्टोरेज, खाद्यान्न और वनोपज को खराब होने से बचाने के लिए रेडिएशन जैसी तकनीक का इस्तेमाल होगा.

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यह काम प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना के तहत हो रहा है. यह पूरे देश में सरकारी स्तर पर बनने वाली अपनी तरह की पहली सुविधा है. इस परियोजना से बस्तर की तस्वीर बदलेगी. अब उपज नहीं होगी बर्बाद, बढ़ेगी आमदनी बस्तर क्षेत्र में इमली, महुआ, जंगली आम, देशी मसाले और मोटे अनाज जैसे बाजरा जैसी उपज होती है. लेकिन सही तरीके से उन्हें संरक्षित रखने और बेचने की सुविधा नहीं होने से हर साल 7 से 20 प्रतिशत उपज खराब हो जाती है. अब जो सुविधा बन रही है, उसमें कोल्ड स्टोरेज, फ्रीजर, रेडिएशन मशीन, और सामान ढोने के लिए बड़े ट्रक होंगे. इससे ये चीजें लम्बे समय तक सुरक्षित रखी जा सकेंगी. उत्पादों का टिकाऊपन बढ़ेगा, बर्बादी रुकेगी और किसानों को ज्यादा दाम मिलेंगे. इस सुविधा में क्या-क्या होगा 

इस परियोजना की लागत करीब 25 करोड़ रुपये है और इसे जिला परियोजना आजीविका कॉलेज सोसायटी चला रही है. इसमें 1500 मीट्रिक टन का कोल्ड स्टोरेज, 1000 मीट्रिक टन का फ्रोजन स्टोरेज, ब्लास्ट फ्रीजर, रेडिएशन मशीन, सोलर सिस्टम और ट्रांसपोर्ट की सुविधाएं शामिल हैं. जानकारी के मुताबिक यह सुविधा यह परियोजना हर साल 10 हजार मीट्रिक टन से अधिक उपज को सुरक्षित रख सकेगी, जिससे बस्तर संभाग के कई जिलों के किसानों और वनोपज संग्राहकों को लाभ मिलेगा.

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इसकी फंडिंग केंद्र सरकार की योजना (10 करोड़) और जिला खनिज निधि (14.98 करोड़) से होगी. यह पहली बार है जब सरकार खुद ऐसी सुविधा बना रही है, जिससे आदिवासी क्षेत्रों में सरकारी योजनाओं पर विश्वास बढ़ेगा.

रोजगार और आमदनी में होगा इजाफा इस सुविधा से हर साल लगभग 8.5 करोड़ रुपये का राजस्व मिलने की उम्मीद है. इसका सीधा फायदा किसानों, वनोपज संग्रहणकर्ताओं और स्थानीय युवाओं को मिलेगा, क्योंकि यहां काम करने के लिए लोगों की जरूरत होगी. इससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार बढ़ेगा और कई लोगों को अपने गांव में ही रोजगार मिल सकेगा. यह पहल वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित इलाकों में स्थायी रोजगार और शांति की दिशा में भी मददगार साबित होगी. जल्द ही होगा काम शुरू, तैयार है बाजार

इस सुविधा के लिए जमीन मिल चुकी है और रेडिएशन तकनीक देने वाली संस्था बीआरआईटी के साथ समझौता भी हो चुका है. काम पूरा होने में बस्तर में रेडिएशन तकनीक आधारित प्रसंस्करण सुविधा की स्थापना के लिए जमीन मिल चुकी है और बीआरआईटी के साथ समझौता भी हो गया है. यह सुविधा 2 साल में पूरी तरह शुरू हो जाएगी. रायपुर और विशाखापत्तनम जैसे शहरों में बाजार तैयार हैं, जहां से बस्तर के उत्पाद देश-विदेश भेजे जाएंगे.

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इसे आदिवासी समाज के भविष्य की नींव बताया. इस परियोजना से वनोपज संग्राहकों और किसानों को बेहतर दाम मिलेगा, उत्पाद ज्यादा समय तक टिकेंगे और वे सीधे बड़े बाजारों से जुड़ सकेंगे.

यह योजना पूरी तरह बस्तर के लोगों द्वारा और उनके लिए संचालित होगी. यह एक सफल मॉडल के रूप में अन्य जनजातीय क्षेत्रों के लिए भी प्रेरणा बनेगा और बस्तर की आर्थिक तस्वीर को नया आयाम देगा.