Dantewada News: प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण छत्तीसगढ़ का दंतेवाड़ा जिला घने जंगलों और खनिज संपदा के गढ़ के नाम से जाना जाता है. इस जिले के बैलाडीला की ऊंची पहाड़ियों और जंगलो में दुर्लभ वन्यजीवों का रहवास है. चारों ओर घने जंगल और पहाड़ियों से घिरे बैलाडीला में हाल ही में देश के सबसे छोटे प्रजाति का हिरण और दुर्लभ प्रजाति का सांप "हेडेड ट्रीकेंट" की मिलने की पुष्टि होने के बाद इसी बैलाडीला के जंगलों में अनोखा और दुर्लभ प्रजाति का सांप "अहेतूल्ला लौंडकिया" देखा गया है.


खास बात यह है कि इससे पहले इंडिया में यह असम और उड़ीसा में मिल चुका है. छत्तीसगढ़ में यह सांप पहली बार मिला है. वन विभाग और वन्य जीव प्राणी संरक्षण कल्याण समिति ने सांप को सुरक्षित रूप से जंगल में छोड़ दिया है और अभी इस सांप को लेकर शोध करने की तैयारी की जा रही है. दरअसल यह सांप देश के केवल 3 राज्यों में ही देखने को मिला है. काफी दुर्लभ प्रजाति का होने की वजह से इसकी प्रजाति विलुप्त होती जा रही है, लेकिन छत्तीसगढ़ के बैलाडीला के जंगलों में इस सांप को देखे जाने के बाद वन विभाग और प्राणी संरक्षण कल्याण समिति के सदस्यो ने खुशी जाहिर की है.


अहेतुल्ला लौंडकिया सांप वाइन स्नेक का है प्रजाति


दरअसल "अहेतूल्ला लौंडकिया" सांप वाइन स्नेक का एक प्रजाति है, पूरे भारत देश में वाइन स्नेक की केवल 8 से 9 प्रजाति है, जिसमें से "अहेतूल्ला लौंडकिया" स्नैक बेहद ही नायाब प्रजाति का है, सबसे पहले भारत में यह सांप असम और उड़ीसा राज्य में देखने को मिला था और इसके बाद यह पहली बार है. जब छत्तीसगढ़ के बैलाडीला के जंगलों में यह सांप मिला है. प्राणी संरक्षण कल्याण समिति के सदस्य अमित मिश्रा ने बताया कि इस सांप को बैलाडीला की पहाड़ी में एनएमडीसी के स्क्रीनिंग प्लांट में देखा गया. यह सांप बिल्कुल दुर्लभ प्रजाति का है.


इसका आकार खूबसूरती अन्य वाइन स्नेक से मैच नहीं हुआ तो इसकी जांच के लिए तस्वीर खींचकर स्पेशलिस्ट के पास भेजी गई और इसकी जानकारी वन विभाग के अधिकारियों को भी दी गई. हालांकि बैलाडीला के पहाड़ी में इनकी संख्या कितनी है और एनएमडीसी के माइनिंग इलाके में यह सांप सेफ है या नहीं इस पर शोध करने की जरूरत है. वन विभाग की मदद से इस दुर्लभ प्रजाति के सांप को बचाने के लिए और उनकी संख्या जानने के लिए शोध करने की तैयारी चल रही है.


दुनिया के खूबसूरत सांप में होती है गिनती


प्राणी सरंक्षण समिति के सदस्य अमित मिश्रा ने बताया कि इसकी लंबाई करीब 4 से साढ़े 4 फीट की होती है और रंग हल्का भूरा होता है. इसकी पहचान इसके सिर से होती है. सिर थोड़ा नुकीला आकार का होता है. इसे साइड एंगल से देखा जाए तो यह एक तीर के सामने वाले हिस्से की तरह दिखाई देता है. इस सांप में जहर कम होता है और यह बेहद खूबसूरत और आकर्षक होता है. खासकर यह ऐसे इलाकों में पाए जाते हैं ,जहां घने जंगल के साथ पेड़ों की ऊंचाई काफी लंबी होती है.


अच्छी बात यह है कि इस सांप के किसी इंसान को काटने से उसके मौत के चांसेस कम होते हैं. अमित मिश्रा ने बताया कि सांप और दुर्लभ तरह के वन्य जीवों में शोध कर रहे उनके प्राणी संरक्षण कल्याण समिति का गठन पांच साल पहले हुआ था. इससे पहले इंडिविजुअल वे सांपों के रेस्क्यू करते और जंगल में छोड़ते थे. उन्होंने बताया कि उनकी टीम में करीब 15 लोग हैं.  जिले भर से अब तक करीब 15 से 20 हजार सांपों का उनकी टीम ने रेस्क्यू कर उन्हें सुरक्षित जंगल में छोड़ा है.


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