Chhattisgarh News: भारत में आज कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर नदी और तालाबों में हजारों लाखों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाए. सुबह सभी लोग ब्रह्म मुहूर्त पर स्नान करने के लिए नदियों के तट पर पहुंचे. वहीं छत्तीसगढ़ के दुर्ग में भी शिवनाथ नदी के तट पर हजारों की संख्या में लोग आस्था की डुबकी लगाने पहुंचे. सुबह ब्रह्म मुहूर्त पर हजारों लोगों ने स्नान कर देवों के ना दीपदान किया. इस दौरान नदी तट पर मेले जैसा माहौल दिखा. नदी तट पर भीड़ ऐसी कि लोगों को पैर रखने की जगह नहीं मिल रही थी.


ऐसा माना जाता है कि हिन्दू पंचांग में कार्तिक मास का विशेष महत्व होता है. इस महीने विभिन्न पर्व मनाए जाते हैं. एक तरह से कार्तिक मास त्योहारों का महीना भी माना जाता है. मान्यता है कि देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi) के बाद से लेकर कार्तिक पूर्णिमा (Kartika Purnima) तक देवता पांच दिन का उत्सव मनाते हैं. देवउठनी एकादशी के दिन क्षीरसागर में भगवान विष्णु लंबी निद्रा के बाद जागे थे और पूर्णिमा के दिन वे देवलोक पहुंचते हैं. जहां उनके आगमन पर सभी देवी-देवताओं ने दीपमाला जलाकर उनका स्वागत किया था. इसलिए कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली भी कहा जाता है. 


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श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी


दुर्ग से बहने वाली शिवनाथ नदी के साथ तालाबों में हुआ दीपदान कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर ट्विन सिटी दुर्ग-भिलाई में उत्सव सा माहौल दिखा. अल सुबह 3 बजे से ही लोग शिवनाथ नदी के तट हजारों की संख्या में लोग पहुंचने लगे और सूरज निकलने से पहले स्नान और दीपदान को लेकर श्रद्धालुओं में खासा उत्साह नजर आया. शिवनाथ नदी के अलावा दुर्ग जिले में बहने वाली खारून नदी तट पर भी देव दीपावली की सुबह दीपदान हुआ. 


श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़ 


23 नवंबर को देवउठनी एकादशी मनाया गया. इस दिन भगवान विष्णु 4 महीने की निद्रा के बाद जागते हैं. जगत के पालनहार के जागते ही 4 महीनों से रुके हुए सभी तरह के मांगलिक कार्य फिर से शुरू हो जाते हैं. देवउठनी एकादशी पर्व से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक देवता पांच दिन का उत्सव मनाते हैं. ऐसे में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर छत्तीसगढ़ के दुर्ग में शिवनाथ नदी के तट पर हजारों की संख्या में लोग आस्था की डुबकी लगाए. इस दौरान नदियों के तट पर मेला जैसा माहौल था. नदी में डुबकी लगाने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ गई. ऐसे में नदी के तट पर पैर रखने के लिए भी जगह नहीं थी. 


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