Raigarh Hospital News : फरवरी में ऐसे दो मामले सामने आए हैं, जिसमें डिलीवरी के बाद जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ थे. अचानक बीपी बढ़ा फिर रात में महिलाओं की मौत हो गई. जबकि डिलीवरी के बाद दोनों को स्वस्थ बताया गया था. लगातार ऐसे मामले बढ़ने से मरीज अब मातृ एवं शिशु अस्पताल जाने में कतरा रहे हैं. 


रायगढ़ जिला अस्पताल अंतर्गत संचालित होने वाले मातृ एवं शिशु अस्पताल में व्यवस्था में सुधार नहीं हो पा रहा है. जिले में में डिलीवरी के मामले को देखते हुए बड़ी बिल्डिंग तो अस्पताल के लिए बनाया गया है मगर सेटअप देना भूल गए हैं. अस्पताल स्टाफ की कमी से जूझ रहा है. साथ ही अस्पताल में जरूरी मशीन की व्यवस्था शुरू नहीं हो सका है. अब तक जिले के सबसे बड़े अस्पताल में गंभीर गर्भवती महिलाओं के लिए आईसीयू की सुविधा नहीं है. ऐसे में महिलाओं की अचानक तबीयत खराब होने पर जान से हाथ धोना पड़ रहा है. समय पर रेफर करने से जान बच सकती है, मगर देर रात में अचानक तबीयत खराब होने से परेशानी बढ़ जा रही है.


डिलीवरी के बाद रात में बिगड़ी तबीयत
पहला केस- सोमवार को श्रुति सांडेल पति मुकेश सांडेल 24 साल, निवासी खुजरानी जैजैपुर सक्ती की मौत हो गई. मृतक 9 फरवरी की शाम को 5 बजे एमसीएच में भर्ती कराया गया था. 10 फरवरी को करीब सुबह साढ़े 10 बजे डिलिवरी हुआ. बेटा हुआ और दोनो स्वास्थ थे. 11 की रात को साढ़े 11 बजे अचानक तबियत खराब हुआ. कुछ समय तक इलाज के बाद मेडिकल कॉलेज में रेफर किया गया. जहां 2.40 में अचानक रात में मौत हो गई.


डिलीवरी के बाद बढ़ गया बीपी
दूसरा केस- माला मानिकापुरी पति राजेन्द्र दास मानिकपुरी निवासी बाबाधाम कोसमनारा, 1 फरवरी को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. ऑपरेशन कर करीब रात साढ़े 10 बजे डिलीवरी कराया गया. जिसके बाद दोनों स्वस्थ थे. अचानक से महिला का तबीयत खराब हुआ फिर रात में उसकी मौत हो गई. डॉक्टरों ने बताया कि उसका बीपी हाई हो गया था. जिसके कारण मौत हो गई.


सीएमएचओ डॉ. आरके मंडावी ने बताया कि मातृ एवं शिशु अस्पताल में गर्भवती महिलाओं के लिए आईसीयू शुरू नहीं हुआ है. बिल्डिंग तैयार है, जल्द ही सामान आने के बाद शुरू किया जाएगा. जरूरत पड़ने पर गंभीर मरीजों को मेडिकल कॉलेज रेफर किया जाता है.


ये भी पढ़ें: Chhattisgarh News: टाहकवाड़ा नक्सली अटैक के 4 दोषियों को आजीवन कारावास की कठोर सजा, हमले में शहीद हुए थे 15 जवान