Basketball Player Vicky Malekar Story: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के सरगुजा (Sarguja) में खेल प्रतिभाओं की कमी नहीं है. यहां ऐसे-ऐसे खिलाड़ी तैयार हुए जो जिला, राज्य से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक की प्रतियोगिताओं में अपना जौहर दिखा चुके हैं. वहीं कई खिलाड़ियों ने अपने बेहतर प्रदर्शन के कारण खेल कोटे से नौकरी भी हासिल कर लिया है और इस सफलता की वजह उनका कठोर परिश्रम है. अंबिकापुर (Ambikapur) में ऐसा ही एक 16 साल का युवा है, जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत कर रहा है.  मेहनत ऐसी कि 16 साल के उम्र में उसके जैसा करना हर किसी के बस की बात नहीं है.

 

16 साल के विक्की मालेकर बास्केटबॉल और ड्रॉप रो बॉल का खिलाड़ी है. विक्की को इन दोनों खेलों में काफी रुचि है और इस क्षेत्र में वह आगे बढ़ने के लिए काफी मेहनत करता है. इसके अलावा विक्की अपने गरीब परिवार की माली स्थिति को भी सुधारने के लिए चिंतित है. यही वजह है कि वह सुबह सोकर उठने के बाद शहर की गलियों में पेपर बांटने के साथ-साथ फल की दुकान में जूस निकालता है. विक्की मालेकर जितना अच्छा खिलाड़ी है, उतना ही अच्छा उसका टाइम मैनेजमेंट है. उसके पिता शहर के अंबेडकर चौक पर फल की दुकान लगाते हैं. इसी दुकान के आय से उनका परिवार चलता है.



 

विक्की के पति ने कही ये बात

 

सुबह पेपर बांटने के बाद विक्की खेलने के लिए ग्राउंड जाता है, जब खेल खत्म हो जाता है तो दोपहर में अपने पिता के साथ फल की दुकान में जूस निकालता है. इसके बाद शाम के वक्त फिर ग्राउंड में प्रैक्टिस के लिए जाता है. इस उम्र बेटे की इस मेहनत को लेकर उसके पिता का कहना है कि हम गरीब परिवार से आते हैं, इसलिए मजबूरी है, लेकिन बेटे की पढ़ाई जारी है. वह ग्राउंड जाकर खेलता भी है और शाम को घर में पढ़ाई करता है. फल दुकान में हाथ भी बंटाने लिए कुछ समय के लिए आता है. उन्होंने कहा, "हम चाहते हैं कि वह आगे बढ़े और देश का नाम रौशन करे."



 

2 गोल्ड अपने नाम कर चुका है विक्की

 

गौरतलब है कि 16 साल का विक्की मालेकार पहले बास्केटबॉल ही खेलता खेलता था, लेकिन उनके कोच राजेश प्रताप सिंह ने उसे दूसरे खेलों के प्रति जागरूक किया और विक्की ड्रॉप रो बॉल खेलने लगा. इस खेल में उसने स्कूल गेम्स में नेशनल खेलते हुए 2 गोल्ड अपने नाम किए. पहला मैच राजस्थान और दूसरा मैच भोपाल में हुआ था. इसके अलावा विक्की ने बास्केटबाल में स्टेट लेवल तक खेल प्रदर्शन किया है और ब्रांज और सिल्वर मेडल भी प्राप्त किया है.



 

5 बजे से शुरू कर देता है अपना काम

 

एबीपी न्यूज़ से बातचीत करते हुए विक्की ने बताया कि उसकी घर की आर्थिक हालत ठीक नहीं है. स्कूल की फीस भरने के लिए भी पैसों की जरूरत होती है. खुद के साथ परिवार की कुछ मदद हो जाए, इसलिए वह सुबह उठकर पेपर बांटता है. फिर अपने पिता के साथ फल की दुकान में उनका हाथ बंटाता है. उसकी दिनचर्या सुबह 5 बजे से शुरू हो जाती है और बिना रुके शाम 7-8 बजे तक वह अपने कामों को बखूबी निभाता है.

 



 

विक्की की मेहनत से प्रेरणा ले सकते हैं युवा

 

ऐसे में विक्की जैसे प्रतिभाशाली खिलाड़ियों के विकास के लिए शासन-प्रशासन को आगे आना चाहिए, जिससे सरगुजा ही नहीं छत्तीसगढ़ का नाम भी खेलो के मामले में राष्ट्रीय स्तर पर रोशन हो सके. वहीं आर्थिक तंगी से जूझ रहे विक्की की इस मेहनत से ऐसे लोगों को सीख लेनी चाहिए, जो पूरी तरह से संपन्न होकर भी कोशिश नहीं करते. इस उम्र में विक्की ने साबित कर दिया कि मेहनत और लगन से कुछ भी हासिल किया जा सकता है.

 

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