Raigarh News: धान खरीदी प्रारंभ होने के 07 दिन बाद भी रायगढ़ जिले के 104 धान उपार्जन केंद्रों में अब तक बोहनी तक नहीं हुई है. राजनीतिक दृष्टिकोण से देखे तो लगता है कि जब से कर्ज माफी और प्रमुख पार्टियों द्वारा समर्थन मूल्य में वृद्धि की घोषणा की गई है तब से किसान धान बेचने में देरी कर रहे हैं. बताया यह भी जा रहा है कि अभी धान बेच देने से खाते में राशि आते ही कर्ज की राशि खाते से कट सकता है. जिसके कारण किसान अभी मंडी से दूरी बना रहे हैं. धान खरीदी केंद्रों के समिति प्रबंधक उपार्जन केंद्रों में तराजू बाट लेकर खाली बैठे है किंतु किसान धान बेचने के फिराक में नजर नहीं आ रहे है. 


गौरतलब है कि प्रदेश में 1 नवम्बर से नियमानुसार धान खरीदी प्रारंभ कर दिया गया है परंतु रायगढ़ जिले के 105 धान उपार्जन केंद्रो में 5 दिनों तक धान की बोहनी तक नही की गई और अंत में 6 नवम्बर को रायगढ़ विधानसभा क्षेत्र के कोड़ातराई धान खरीदी केंद्र में 60 क्विंटल धान की बोहनी की गई. जिसमें जिला प्रशासन ने स्वयं किसान का स्वागत करने गये थे परंतु इसके दूसरे दिन जिले के किसी भी धान खरीदी केंद्रों में धान लेकर किसान नहीं पहुंच रहे है. इसके कारण खरीदी केंद्रों के समिति प्रबंधक से लेकर ऑपरेटर हमाल यहां तक तौल करने वाले कर्मचारी भी खाली बैठे किसानों का रास्ता देख रहे है. इस मामले में विपणन विभाग की मानें तो इस साल 5 लाख एमटी का टारगेट है परंतु कोड़ातराई के अलावा कही भी कोई खरीदारी नहीं किया गया है.


लोकलुभावन वादे का मोह


जिले में मतदान और दीपावली त्यौहार को लेकर चुनाव और वर्ष में जब से किसानों के कर्ज माफी की घोषणा हुई है तब से किसान धान बेचने के मूड में नजर नहीं आ रहे है. हालांकि कारण कुछ और भी हो सकता है परंतु चुनावी हलचल में इस बात को नजरअंदाज भी नहीं किया जा सकता. वैसे भी चुनावी नतीजे जो भी हो किसानों को कर्ज माफी या धान खरीदी में बढ़ोतरी का लाभ किसानों को मिलने ही वाला है. इसके कारण भी धान खरीदी केंद्रों में किसानों के नहीं पहुंचने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता.


धान खरीदी केंद्रों के कर्मचारी बैठे है खाली


रायगढ़ जिले में 105 धान उपार्जन केंद्र है. इसमें 69 धान खरीदी केंद्र है. इस सभी धान खरीदी तथा उपार्जन केंद्रों में से मात्र कोड़ातराई ही एक ऐसा धान खरीदी केंद्र है जहां 60 क्विंटल धान की खरीदी किया गया या यू कहे कि 60 क्विंटल धान की बोहनी किया गया. इसके बाद किसी भी 104 धान उपार्जन केंद्रों में अब तक न खरीदी किया गया है और न ही बोहनी हुई है. इसके कारण सभी उपार्जन केंद्रों व धान खरीदी केंद्रों के कर्मचारी खाली बैठे किसानों का इंतजार ही कर रहे है.


मोटा धान के फसल में समय


बताया यह भी जा रहा है कि नवम्बर के महीने में मोटा धान की बालियां पक कर तैयार ही नहीं हुई है जो दिसम्बर के अंत तक धान की सुनहरी बालियों में तैयार होता है तब जाकर धान मंडियों में पहुंचती है. ऐसे में धान उपार्जन केंद्रों में बोहनी का नहीं होना भी एक कारण है.


ये भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ के कर्मचारियों के लिए बड़ी खबर, महंगाई भत्ता को लेकर CM बघेल ने किया अहम फैसला