Korba News: दो होनहार छात्राओं ने एक ऐसा अनोखा उपकरण बनाया है, जिसकी मदद से मूर्ति विसर्जन के दौरान डूबने से होने वाली मौतों को रोका जा सकता है. इस उपकरण का प्रयोग विसर्जन स्थल पर किया जाए, तो इस तरह की दुर्घटनाओं की संभावना ही निर्मित नहीं होगी. विज्ञान स्पर्धा में प्रस्तुत उपकरण के मॉडल को न केवल विज्ञान विशेषज्ञों की शाबाशी मिली, उसे राज्य स्तर पर प्रदर्शित करने के लिए भी चुना गया है.


तकरीबन हर दूसरे साल पर्व के बाद मूर्ति विसर्जन के दौरान जानलेवा हादसे सामने आते हैं. विसर्जन स्थल पर उत्साह कब उन्माद में बन जाता है और खुशियों के पल दुख में बदल जाते हैं. लोग समझ ही नहीं पाते. देवी-देवताओं की विदाई के हर्ष के बीच किसी के घर की खुशियों पर अचानक ग्रहण लग जाता है. इस तरह की घटनाओं को रोकने की दिशा में प्रयास ने एक नए विचार को जन्म दिया. इसी कड़ी में कोरबा जिले के दो प्रतिभावान छात्राओं ने विज्ञान और अभियांत्रिकी की युक्ति आजमाते हुए न केवल एक उपकरण की रूपरेखा तैयार की, चलित मॉडल से उपयोग को प्रायोगिक भी सिद्ध किया है. छात्राओं ने अपने उपकरण के इस मॉडल का नाम ‘रोटेटिंग प्लेटफार्म टू सेव लाइफ’ रखा है. यानी एक ऐसा चलित प्लेटफार्म, जो जीवन की रक्षा के उद्देश्य से कार्य करता है. 


इस तरह से काम करता है उपकरण


अपने इस उपकरण के संबंध में निकिता व ख्याति ने बताया कि उन्होंने इसके लिए एक ऐसा प्लेटफार्म तैयार किया है, जो एक स्थान से दूसरे स्थान तक सामग्री ले जाने वाले कन्वेयर बेल्ट की तरह कार्य करता है. यह स्ट्रेचर प्लेटफार्म पर घूमता रहता है और एक क्रेन से जुड़ा हुआ है. क्रेन की मदद से हम विसर्जन स्थल पर आई मूर्ति को प्लेटफार्म पर रखेंगे. यह प्लेटफार्म को बढ़ाकर किसी नदी या नहर के उस प्रवाह के ऊपर तक ले जाया जा सकता है. फिर इसे शुरू करने पर मूर्तियां स्वयं आगे बढ़ते हुए एक एक कर गहरे प्रवाह में विसर्जित हो जाएंगी. इसके लिए लोगों को गहरे पानी में उतरने का खतरा उठने की जरूरत ही नहीं है. इसे केवल विसर्जन के दौरान दुर्घटनाओं को रोकने के लिए तैयार किया गया है, जिसे विभिन्न घाटों मे लगाने से दुर्घटनाएं रोकी जा सकती हैं. इस जिला स्तरीय राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस में बतौर निर्णायक उपस्थित रहे शासकीय ईवीपीजी कॉलेज में सहायक प्राध्यापक वनस्पति शास्त्र डॉ संदीप शुक्ला व शासकीय कॉलेज दीपका में सहायक प्राध्यापक भौतिकशास्त्र डॉ जयचंद देवांगन ने भी काफी पसंद किया है. अब यह मॉडल अगले माह आयोजित होने वाली राज्य स्तरीय प्रतिस्पर्धा में प्रदर्शित किया जाएगा.


किसी मेटाडोर में भी किया जा सकता है स्थापित


उनके इस उपकरण मॉडल में कई विशेषताएं भी शामिल की जा सकती हैं. इस उपकरण को एक ही जगह पर स्थाई रखने की विवशता से स्वतंत्र रखा गया है. यानी यह किसी मोबाइल उपकरण की तरह बनाया जा सकता है जिसे जरूरत पड़ने पर आसानी से कैरी कर परिवहन किया जा सकता है. क्षेत्र विशेष में मूर्तियों के छोटे बड़े आकार के अनुरूप तैयार किया जा सकता है. ट्रक या मेटाडोर में परिवहन किया जा सकता है और इस्तेमाल किया जा सकता है. अगर इस उपकरण को चाहें, तो किसी मेटाडोर या ट्रक के डाले में भी स्थापित किया जा सकता है. ऐसा होने पर किसी भी समय कहीं भी परिवहन कर ले जाया और कार्य पूर्ण होने पर वापस भी लाया जा सकता है.


स्टेट विज्ञान प्रदर्शनी के लिए चुनी गई सेजेस गोपालपुर की छात्राएं


नेशनल चिल्ड्रन साइंस कांग्रेस 2023-2024 की जिले स्तर की प्रतियोगिता सिपेट स्याहीमुड़ी में 20 नवंबर को आयोजित की गई थी. जिसमें जूनियर व सीनियर दोनों समूह के बाल वैज्ञानिकों ने भाग लिया था. जूनियर समूह में 10 से 14 वर्ष और सीनियर वर्ग में 14 से 17 वर्ष के विद्यार्थियों ने भाग लिया. इस जिला स्तर की प्रतियोगिता में स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम विद्यालय गोपालपुर के 3 बाल वैज्ञानिकों के समूह ने भाग लिया. जूनियर समूह में मार्गदर्शक शिक्षिका सीमा पटेल के मार्गदर्शन में हुमेन्द्र वर्मा, चंद्रेश साहू, रिमशा सदफ व अंशिका मानिकपुरी ने अपना प्रदर्शन दिया. इनके ही मार्गदर्शन में सीनियर समूह से निकिता व ख्याति ने अपना प्रदर्शन किया। निकिता व ख्याति का सीनियर समूह में राज्य स्तर के लिए चयन किया हुआ. प्राचार्य डॉ सीमा भारद्वाज व समस्त शिक्षक स्टाफ ने उन्हें शुभकामनाएं प्रदान की हैं.


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