Baster News: बस्तर जिले के दरभा झीरम घाटी नेशनल हाईवे -30 पर 25 मई 2013 को हुए देश के सबसे बड़े नक्सली हमलों में से एक झीरम घाटी हमले में 31 लोगों की शहादत हो गई. इस हमले में कांग्रेस के कई दिग्गज नेता भी मारे गए. हमले के बाद इस झीरम घाटी और आसपास के गांव के विकास के बड़े-बड़े दावे तो किए गए. लेकिन घटना के 10 साल बाद भी झीरम घाटी की दशा नहीं सुधरी है. जिस सड़क में नक्सलियों ने आईईडी ब्लास्ट कर और फायरिंग कर एक साथ इतने लोगों की जान ले ली थी. उस सड़क का बुरा हाल हो चुका है. 


नवीनीकरण के नाम पर घटिया निर्माण कार्य कर करोड़ों रुपए भ्रष्टाचार किया जा रहा है. सड़क की हालत जस की तस बनी हुई है. आलम यह है कि इस झीरम घाटी सड़क से गुजरना लोगों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है. जगह-जगह हुए बड़े गड्ढे और सड़क से पूरी तरह से डामर बह जाने से धूल और अधूरे पेच वर्क की वजह से लोग काफी परेशान हो रहे हैं.


बड़े बड़े गड्ढों से राहगीर परेशान
छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले को सुकमा जिले से जोड़ने वाला नेशनल हाईवे -30 पिछले कुछ महीनों से शहादत की याद दिलाकर खुद पर आंसू बहा रहा है. बस्तर से सुकमा जिले छिंदगढ़ तक नेशनल हाइवे की हालत बद से बदतर हो चुकी है. खासकर दरभा के बाद झीरम घाटी से लेकर तोंगपाल, छिंदगढ़ पाकेला तक सड़क में बड़े-बड़े गड्ढे हो चुके हैं. सारा डामर सड़क से उखड़ चुका है.


वाहनों की आवाजाही के चलते सड़क किनारे की आबाद बस्ती के लोग भी उड़ती धूल से परेशान हो गए हैं. जानकारी के मुताबिक पिछले साल एनएच -30 के नवीनीकरण का प्रस्ताव सुकमा जिला प्रशासन के द्वारा मंजूर किया गया था. एक साल होने के बाद भी ठेकेदार और PWD के इंजीनियर सिर्फ नाप झोप कर दिन आगे बढ़ते चले गए. 


कलेक्टर ने सड़क को पूरी तरह से तैयार करने के दिए दिशा निर्देश
एनएच पर आधे अधूरे  निर्माण कार्य और घटिया पेच वर्क को लेकर अब लोगों का गुस्सा भी फूट पड़ा है. हालांकि सुकमा कलेक्टर एस. हरीश ने इस मामले में अधिकारियों की बैठक लेकर अपनी नाराजगी जताते हुए अक्टूबर माह तक इस सड़क को पूरी तरह से तैयार करने के दिशा निर्देश दिए है. लेकिन वर्तमान में भी झीरम घाटी से लेकर छिंदगढ़ तक सड़क की हालत जस की तस बनी हुई है. आलम यह है कि झीरम घाटी से  टाहकावाड़ा  तक बदहाल सड़क पर दिखावे के लिए गड्ढों को पाटा जा रहा है.


लोगों का कहना है कि इस सड़क से दौड़ने वाली भारी मालवाहको के भार की क्षमता के मुताबिक नेशनल हाईवे की मजबूती नहीं देखी जा रही है.  इस मार्ग में आए दिन हो रहे कई दुर्घटनाओं का जवाबदेही भी लेने वाला कोई नहीं है. साथ ही घटिया सड़क निर्माण कार्य को लेकर आपत्ति जताने वाले भी कोई नहीं है. आलम यह है कि यह नेशनल हाईवे सिर्फ नाम मात्र का रह गया है.


अक्टूबर माह तक कंप्लीट करने के आदेश
इसके अलावा राहगीरों ने बताया कि बस्तर के झीरम घाटी से लेकर छिंदगढ़ ब्लॉक तक बीच मे पड़ने वाली तोंगपाल , छिंदगढ़, पाकेला, में भी पूरे रास्ते भर में बड़े-बड़े गड्ढे के बीच एनएच खो चुका है. नेशनल हाईवे की दशा इतनी बुरी हो चुकी है कि सुकमा से जगदलपुर की दूरी तय करने में लगभग 4 से 5 घंटे का समय लग रहा है. इसके अलावा तोंगपाल से सुकमा तक 50 किलोमीटर की सड़क को पार करने में राहगीरों को 2 से ढाई घंटे का समय लग रहा है.


सड़क निर्माण कार्य को शुरू हुए 12 महीनों में भी सुकमा जिले से प्रारंभ  तोंगपाल क्षेत्र तक राष्ट्रीय राजमार्ग -30 का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका है. हालांकि इस मामले में सुकमा के कलेक्टर एस. हरीश का कहना है कि संबंधित विभाग और ठेकेदार को अक्टूबर महीने तक सड़क का नवीनीकरण कार्य पूरा करने के आदेश जारी किए गए हैं. तय समय सीमा तक सड़क का काम पूरा नहीं करने पर कार्रवाई की भी चेतावनी दी गई है. उम्मीद की जा रही है कि अक्टूबर तक सड़क का नवीनीकरण कार्य पूरा कर लिया जाएगा. 


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