Elephant Terror Korba: छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में हाथी की समस्या कोई नई समस्या नहीं है. वनांचल क्षेत्र में बसने वाले लोग हाथियों के साथ रहना तो सीख गए हैं लेकिन हर घंटे खतरा तो मंडराता ही रहता है. कोरबा जिले में खतरे की बात करें तो जिला पुलिस की एक चौकी पर भी हमेशा खतरा मंडराते रहता है. इस चौकी के चारों तरफ हर दूसरे तीसरे दिन हाथी चिंघाड़ लगाते रहते हैं. 


कई बार ऐसी भी स्थिति निर्मित हो गई है कि चौकी में घुसकर आतंक मचा चुका है. बस फिर क्या इसके लिए पुलिस अधिकारी, कर्मचारी अपनी जान बचाने के लिए चौकी के छत पर नजर आते है. पुलिस के पास सुरक्षा के कोई ठोस उपाय नहीं है जिसके चलते हमेशा इसी इलाके में दहशत की स्थिति बनी रहती है.


धान की फसल को चट कर करते रहते हैं
कटघोरा वनमंडल में हाथियों का सबसे अधिक बसेरा है और हाथियों को यह इलाका रास आता है. यही वजह है कि हाथी अब यही के होकर रह गए हैं और एक वनपरिक्षेत्र से दूसरे वन परिक्षेत्र में डेरा डाले रहते हैं. धान की फसल के दौरान हाथी खेतों में पहुंचकर धान की फसल को चट कर करते रहते हैं लेकिन अब धान की फसल कट चुकी है और अब फसल मंडी में पहुंच चुकी है या फिर किसानों के कोठी में है. ऐसे में अब हाथियों का झुंड किसानों की बाड़ी व धान की कोठी या फिर मादक पदार्थ महुआ शराब के लिए घरों के भीतर घुसना शुरू कर चुके हैं. ऐसी लगातार कई घटनाएं सामने आ रही है. 


हाथी महज चौकी से 100 मीटर दूर ही नजर आता है
जिले का एक ऐसा पुलिस चौकी है. जहां हर दूसरे तीसरे दिन पुलिस चौकी के इर्द-गिर्द हाथी मंडराते रहता है. हाथियों की सुरक्षा करने वाले वन विभाग के कर्मचारी तो पूरी तरह से सतर्क रहते हैं और उन्हें हाथियों से निपटना कैसे हैं यह भी जानते हैं, लेकिन पुलिस कर्मचारियों पर भी हमेशा जान का खतरा बना रहता है. कोरबा जिले के लगभग 100 किलोमीटर दूर कोरबी चौकी एक ऐसा चौकी है जहां अक्सर हाथियों का झुंड विचरण करते रहता है और उत्पात मचाते रहता है.


हाथी महज चौकी से 100 मीटर दूर ही नजर आता है. यह कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस हाथी के चलते वहां उपस्थित अधिकारी कर्मचारियों को हमेशा जान का खतरा बना रहता है. हाथी कई बार चौकी के परिसर में भी प्रवेश कर चुका है जिससे बचने के लिए वन कर्मचारी छत का भी सहारा ले चुके हैं. 


पूरा इलाका सबसे ज्यादा प्रभावित है
हालांकि अब बाउंड्री वॉल होने की वजह से हाथियों का झुंड चौकी के परिसर में नहीं घुस पाते हैं लेकिन कभी भी हाथी आक्रामक होकर पुनः अंदर घुस सकते हैं क्योंकि चौकी में मादक पदार्थ शराब की खेप रहती है और शराब की सुगंध हाथियों को हमेशा भाता है और ऐसी स्थिति आयी तो फिर से पुलिस कर्मियों को छत का ही सहारा लेना पड़ेगा. इसके लिए वह हमेशा अलर्ट रहते हैं. लेकिन हाथियों की समस्या के लिए कोरबी चौकी का पूरा इलाका सबसे ज्यादा प्रभावित है. वन विभाग द्वारा जो रेस्क्यू किया जा रहा है या फिर अन्य कदम उठाया जा रहा है वह प्रभावी नहीं है जिससे ग्रामीणों में लगातार आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है.


तड़के ग्रामीण के घर घुसा लोनर
कटघोरा वन मंडल में कुछ दिनों के विराम के बाद हाथियों ने फिर से उत्पात मचाना शुरू कर दिया है. यहां के केवई रेंज अंतर्गत लालपुर सर्किल के बनखेता गांव में गुरुवार की तड़के अचानक धमके लोनर हाथी ने एक घर को ढहा दिया. इतना ही नहीं वहां रखे दाल, चावल व घरेलू सामानों को भी तहस नहस कर दिया. तड़के 4 बजे बस्ती में बैसाखू नामक ग्रामीण के घर एक लोनर के घुसने व उत्पात मचाए जाने की सूचना मिलने पर वन विभाग का अमला मौके पर पहुंचा और ग्रामीणों की मदद से उत्पाती हाथी को खदेड़ने की कार्रवाई की.


खदेड़े जाने पर हाथों ने जंगल का रुख किया तब ग्रामीणों व वन विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने राहत की सांस ली. सुबह होने पर नुकसानी का आंकलन किया गया. इस बीच कोरबा वन मंडल के घेराव में घूम रहे दल ने बीती रात ग्रामीणों के खेतों में पहुंचकर जमकर उत्कट मचाया और वहां लगे धान के रखी फसल को रौंद दिया. इससे पहले यह हाथी चचिया धान उपार्जन केंद्र में घुसकर वहां रखे 9 बोरी धान को चट कर दिया था. 


ये भी पढ़ें: छत्तीसगढ़: नक्सलियों ने बीजेपी नेता को उतारा मौत के घाट, धारदार हथियार से हमला